सुलभा n. एक संन्यासिनी कुमारी, जो प्रधान नामक राजा की कन्या थी । यह स्वयं संन्यासमार्ग एवं योगमार्ग की पुरस्कर्ती थी, जिसने कर्मयोग एवं गृहस्थाश्रम की प्रशंसा करनेवाले मिथिला नरेश जनक राजा से तत्त्वज्ञान पर वादविवाद किया था । यही संवाद महाभारत में ‘सुलभा-जनक संवाद’ नाम से प्रसिद्ध है
[म. शां. ३०८] ।
सुलभा n. कर्मयोग एवं गृहस्थाश्रम की प्रशंसा करते हुए जनक ने इसे कहा, ‘मैं स्वयं गृहस्थाश्रमी हूँ, फिर भी मेरा मन विषयोपभोग की इच्छा से संपूर्णतया अलिप्त है । जिस प्रकार भूमि से बाहर रहा बीज अंकुरित नहीं होता है, उसी प्रकार मेरे मुक्त मन में विषयों की उत्पत्ति नहीं होती है’। इतना कह कर जनक ने कहा कि, उपर्युक्त तत्त्वज्ञान इसे पंचशिख नामक आचार्य के द्वारा प्राप्त हुआ है । आगे चल कर जनक राजा ने अनेकानेक व्यंग्य वचन कह कर इसका तिरस्कार किया, एवं इसके नाम आदि के संबंध में पृच्छा कर इसे कोई अगण्य एवं अनधिकारी स्त्री साबित करने का प्रयत्न किया । जनक राजा के उपर्युक्त अपमानजनक संभाषण से यह जरा भी विचलित न हुई। इसने अत्यंत शान्ति से अपनी गुरुपरंपरा का परिचय दिला कर, अपने संन्यास एवं योगशास्त्र विषयक तत्त्वज्ञान का अत्यंत सुस्पष्ट निवेदन किया, ‘जिस प्रकार जतुकाष्ठ एवं जलबिंदुओं का संबंध तत्कालिक रहता है, एवं इन दोनों मी मिलावट असंभव है, उसी तरह आत्मा एवं इंद्रियोपभोग का एक साथ रहना असंभव है । इसी कारण मेरा यह कहना है कि, राजा का कर्तव्य निभानेवाले व्यक्ति को मोक्षज्ञान असंभव है । यद्यपि वह उसे प्राप्त भी हो जाये, तो टिकना असंभव है ।’ सुलभा ने आगे कहा, ‘तुम स्वयं को मोक्षधर्म के ज्ञानी कहते हो, फिर भी मैं कौन हूँ, मैं कहॉं से आयी हूँ, ऐसे मामुली प्रश्र्नों के उत्तर भी नहीं जानते। यदि सचमुच ही मुक्त रहते, तो ऐसी अनभिज्ञता दर्शानेवाले प्रश्र्न तुम नहीं पूछते। जो व्यक्ति मुक्त है, उसे मनुष्यप्राणि कहाँ से आया, एवं कहाँ जानेवाला है इसका ज्ञान अवश्य होना चाहिए’। इस प्रकार अपने तत्त्वपूर्ण संभाषण के द्वारा इसने जनक राजा का आत्मज्ञान के संबंध का सारा गर्व चूर कर दिया ।
सुलभा (मैत्रेयी) n. एक तपस्विनी, जो कुणि गर्ग ऋषि की कन्या थी । आश्र्वलायन गृह्यसूत्र के ब्रह्मज्ञांगतर्पण में इसका निर्देश प्राप्त है, जिससे प्रतीत होता है, कि यह कोई सुविख्यात ऋग्वेदी तत्त्ववादिनी स्त्री होगी। याज्ञवल्क्य ऋषि की पत्नी मैत्रेयी, एवं जनक राजा के साथ चर्चा करनेवाली सुलभा, इन दोनों ब्रह्मवादिनी स्त्रियों से यह सर्वथा, भिन्न स्त्री होगी।