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मांडव्य

   
Script: Devanagari

मांडव्य     

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See : माण्डव्य

मांडव्य     

मांडव्य n.  एक आचार्य, जो कौत्स ऋषि का शिष्य था [श.ब्रा.१०.६.५.९] ;[सां.आ.७.२] ;[बृ.उ.६.५.४ काण्व.] । इसके शिष्य का नाम मांडूकायनि था । ऐतरेय आरण्यक के अनुसार, इसने ऋग्वेद संहिता का तात्त्विक अर्थ प्रतिपादन किया था [ऐ.आ.३.१.१] ; ऋ.प्रा.प्रस्तावना । इसने शुल्क यजुर्वेद की शिक्षा की रचना की थी, जिसका निर्देश ‘पाराशरी संहिता’ में प्राप्त है [पा.सं.श्लो.७७-७८] । ब्रह्मयज्ञांतर्गत पितृतर्पण में इसका निर्देश प्राप्त है [आश्व.गृ.३.४.४] ;[सां.गृ.४.१०,६.१]
मांडव्य II. n.  एक आचार्य, जो विदेह देश के जनक राजा का मित्र था [वेबर, इंडिशे, स्टूडियेन.१.४८२]
मांडव्य III. n.  एक प्रसिद्ध ब्रह्मर्षि, जो धैर्यवान सब धर्मौ का ज्ञाता, सत्यनिष्ठ और तपस्वी था । इसके नाम के लिए ‘अणिमांडव्य’ एवं ‘आणिमांडाव्य’ पाठभेद भी प्राप्त है ।
मांडव्य III. n.  चोरी के कारण इसको सजा मिलने की विभिन्न कथाएँ अनेक ग्रन्थों में प्राप्त है । मार्कडेय तथा गरुडपुराण में दिया गया है कि, राजा ने इस पर चोरी का इल्जाम लगाया; एवं चोरी के संशय पर हे इसे सूली पर चढाया [गरुड.१.१४२] । पद्म के अनुसार, सुलक्षण राजा एक बार मृगयाके हेतु अरण्य में गया, तथा अपना घोडा एक पेड में बॉंध दिया । जब वह लौट आया, तब वहॉं घोडा न था । अतएव राजा ने वहॉ पर तपस्या करते हुए मांडव्य से अपने घोडे के बारे में पूछा, किन्तु यह मौन रहा । तब राजाज्ञा से राजदूतों ने समाधिस्थ मांडव्य को बन्दि बनाकर इसे सूली पर चढा दिया । आगे चल कर असली चोर पकडा गया, तब राजा ने इसे छोड दिया । किन्तु इसके शरीर में किंचित शूलाग्र रह गया, जिसके कारण इसे ‘आणिमांडव्य’ नाम प्राप्त हुआ [पद्म.उ.,१४१] । इसी पुराण में अन्यत्र यह भी लिखा है कि, राजा की कुछ चीजे चोरी चली गयी थी, और उसीके शक में इसे सजा मिली थी [पद्म.उ,५१]
मांडव्य III. n.  $प्रमोदिनी से विवाह--स्कंद के अनुसार, देवपन्न राजा की कन्या कामप्रमोदिनी का हरण कर, शंबर ने उसके गहने मांडव्याश्रम के पास डाल दिये । प्रमोदिनी को पता लगानेवाले दूतों को इसके आश्रम के पास गहने मिले । इससे राजा को यह शक हुआ कि, इसने ही उसकी कन्या का हरण किया है । अतः उसने इसे सूली पर चढाने की आज्ञा प्रदान की । किन्तु अन्त में जब उसे अपनी कन्या शंबरासुर से पुनः प्राप्त हुयी, तब राजा ने प्रमोदिनी का विवाह मांडव्य से कर दिया [स्कंन्द.५.३.१६९-१७२] । स्कंद में अन्यत्र कहा गया है कि, यात्रा करते करते मांडव्य ऋषि ‘विश्वामित्र तीर्थ’ के पास आया । वहॉं इसने देखा कि, कुछ राजद्रव्य पडा हुआ है जिसे छोडकर चोर लोग भाग गये थे । राजद्रव्य के पास खडे हुए मांडव्य को देख कर, दूतों ने इसे चोर समझकर पकडा, तथा राजाज्ञा से सूली पर चढा दिया [स्कंद.६.१३७]
मांडव्य III. n.  महाभारत के अनुसार, निरपराध होने पर भी इसको सूली पर चढाया गया था [म.आ.५७.७७-७९] । इसने शूल के अग्रभाग पर तपस्या की थी । इसकी दयनीय दशा से संतप्त, एवं तपस्या से प्रभावित हो कर, पक्षीरुपधारी महिर्षिगण इसके पास आये थे । पश्चात यह लिंग देह धारण कर यमधर्म के पास गया था, एवं उससे प्रश्न किया, ‘मैने शुद्धभाव से सदैव तपस्या की, किंतु मुझे भयंकर सजा क्यों दी गयी’? तब यमधर्म ने कहा, ‘तुम बचपन में पतिंगो के पुच्छभाग से सींक घुसेडते रहे हो, इसी कारण तुम्हें सूली पर चढाये जाने का दण्ड मिला है [म.आ.१०१] । यह सुनते ही मांडव्य ने नियम बनाया कि, बारह तथा चौदहवर्षीय बालकों द्वारा नादानी में किये गये अशुभ कर्मो का पाप उन्हें न भुगतना पडेगा । इसके साथ ही इसने यम को शाप दिया कि, वह शूद्रकुल में जन्म लेगा । मांडव्य के शाप के ही कारण, यमधर्म को अगले जन्म में विदुर का जन्म लेना पडा [म.आ.१०१.२५-२७] । यमधर्म की उपर्युक्त कथा में मांडव्य के द्वारा पीडित किटाणु का नाम पतिंग कहा गया है [म.आ.१०१.२४] । किंतु अन्य स्थानों में उसके नाम बगुला [स्कंद.६.१३६] , टिड्डी [पद्म.उ.१४१] एवं भौंरा [पद्म.सृ.५२] इत्यादि दिया गया है ।
मांडव्य III. n.  जब यह सूली पर था, तब एक दिन आधी रात के समय कौशिक के कुल में उत्पन्न हुआ एक सर्वागकुष्टी ब्राह्मण अपनी पत्नी के कंधे पर बैठा वेश्या के घर जा रहा था । अंधकार में जाते समय गलती से उसका पैर इसे लग गया, तब इसने क्रोध में आकर तत्काल शाप दिया, ‘सूर्योदय होते ही तुम मर जाओंगे’ [स्कंद.६.१३५] । ऐसा सुनकर ब्राह्मण की उस पतिव्रता पत्नी ने अपने पातिव्रत्य के बल पर सूर्योदय ही रोंक दिया । बाद में अनुसूया द्वारा समझाये जाने पर उसने सूर्योदय होने दिया, तथा देवों की कृपा से मृत पति को जीवित अवस्था में प्राप्त किया, जिसका शरीर कामदेव के समान सुंदर था [गरुड.१.१४२] ;[मार्क.१६] ;[स्कंद. ५.३.१६९-१७२, ६.१३५] ;[पद्म. सृ.५१] ; कौशिक१४. देखिये ।
मांडव्य III. n.  महाभारत के अनुसार, यह बडा ज्ञानी था, तथा इसने विदेहराज जनक से तृष्णा का त्याग करने के विषय में प्रश्न किया था [म.शां.२२६८] । इसने शिवमहिमा के विषय में युधिष्ठिर को अपना अनुभव बताया था [म.अनु.१८.४६-५२] । जब श्रीकृष्ण हस्तिनापुर जा रहे थे, तब उनसे अनेक ऋषिगण मिलने आये थे, जिसमें यह भी एक था [म.उ,८१.३८८] । इसके सम्बन्ध में यह भी प्राप्त है कि, यह भृगुकुलोत्पन्न गोत्रकार था, एवं ज्योतिषशास्त्र का पंडित था । इसके नाम पर ‘मांडव्यसंहिता’ नामक ग्रन्थ भी उपलब्ध है (C.C.) ।

मांडव्य     

मराठी (Marathi) WN | Marathi  Marathi
noun  एक पौराणिक ऋषी   Ex. एकदा मांडव्यने एका ब्राह्मणाला सूर्योदय होताच तो मरेल असा श्राप दिला होता
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
SYNONYM:
मांडव्य ऋषी
Wordnet:
benমাণ্ডব্য ঋষি
gujમાંડવ્ય
hinमाण्डव्य
kasمانٛڈویہِ , مانٛڈویہِ ریش
kokमाण्डव्य
oriମାଣ୍ଡବ୍ୟ ଋଷି
panਮਾਂਡਵਯ
sanमाण्डव्यः
urdمانڈویہ , مانڈویہ رشی

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