-
विष्णु पञ्चायुध स्तोत्रम्
विष्णू हि सर्वोच्च शक्ती असून, त्रिमूर्ती ब्रह्मा, विष्णू आणि महेश यांपैकी, भगवान विष्णूचे कार्य विश्वाचा सांभाळ आणि प्रतिपाळ करणे आहे Vishnu,also known as Narayana is the Supreme Being or Ultimate Reality In the Trimurti, Vishnu is responsible for the maintenance or 'preservation' of the universe.
Type: PAGE | Rank: 6.953856 | Lang: NA
-
विष्णु अष्टोत्तरशतनामावलिः
अष्टोत्तरशतनामावलिः म्हणजे देवी देवतांची एकशे आठ नावे, जी जप करताना म्हणावयाची असतात. नावे घेताना १०८ मण्यांची जपमाळ वापरतात. Ashtottara shatanamavali means 108 names of almighty God and Godess.
Type: PAGE | Rank: 6.639031 | Lang: NA
-
विष्णु
Meanings: 121; in Dictionaries: 11
Type: WORD | Rank: 5.316566 | Lang: NA
-
श्री विष्णु भगवान - जय जगदीश हरे, प्रभु! जय ज...
आरती हिन्दू उपासना की एक विधि है Aarti, ãrti, arathi, or ãrati is a Hindu ritual
Type: PAGE | Rank: 4.810212 | Lang: NA
-
श्री विष्णु सहस्त्रनामस्तोत्रम्
हिंदू देवदेवतांची सहस्त्र नावे, स्तोत्र रूपात गुंफलेली आहेत. Sahastranaamastotra is a perticular stotra in which, the 1000 names of hindu Gods are introdused.
Type: PAGE | Rank: 4.211952 | Lang: NA
-
विष्णु स्तोत्रे
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत । अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मान.म सृजाम्यहम ॥ परित्राणाय साधुनाम विनाषाय च दुष्कृताम । धर्म संस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे ॥ जेव्हा जेव्हा धर्माचा आणि अधर्माची वाढ होत असते, तेव्हा तेव्हा मी आपले रूप रचतो म्हणजेच आकार घेऊन लोकांसमोर प्रकट होतो.सज्जनांच्या उद्धारासाठी,पापकर्म करणाऱ्यांचा नाश करण्यासाठी आणि धर्माची उत्तम प्रकारे स्थापना करण्यासाठी मी युगायुगात प्रगट होतो. श्रीविष्णुने सज्जनांच्या उद्धारासाठी या पृथ्वीतलावर दहावेळा अवतार घेतले.याचेच वर्णन महाभारतात भगवद्गीतेमधून श्रीकृष्णाने अर्जुनाला सांगितले आहे.
Bhagavan Shrikrishna explained Arjuna about 'Avatars'in Mahabharat through Bhagavadgeeta. "Whenever Dharma, or the situation of law and order, is endangered on this world, I shall incarnate onto this world to re-establish Dharma, law and order, and to protect the good people and to destroy the evil elements of the society."
Type: INDEX | Rank: 4.211952 | Lang: NA
-
विष्णु अवतार स्तोत्रे - प्रस्तावना
देवी देवतांची स्तुती करताना म्हणावयाच्या रचना म्हणजेच स्तोत्रे.
A Stotra is a hymn of praise, that praise aspects of Devi and Devtas.
Type: PAGE | Rank: 4.211952 | Lang: NA
-
श्री विष्णु सहस्त्रनामावलिः - १. ॐ विश्वस्मै नमः । २.ॐ...
हिंदू देवी देवतांची एक हजार नावे म्हणजेच सहस्त्रनामावली. हिंदू धर्मिय रोज सकाळी संध्याकाळी या नावांचा जप करतात.
A sahasranamavali is a type of Hindu scripture in which a diety is referred to by 1000 or more different names.Many devout Hindus chant them every morning or evening.
Type: PAGE | Rank: 4.211952 | Lang: NA
-
विष्णु वामन शिरवाडकर कुसुमाग्रज
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
Type: WORD | Rank: 3.696445 | Lang: NA
-
विष्णु स्तोत्रे
विष्णू हि सर्वोच्च शक्ती असून, त्रिमूर्ती ब्रह्मा, विष्णू आणि महेश यांपैकी, भगवान विष्णूचे कार्य विश्वाचा सांभाळ आणि प्रतिपाळ करणे आहे.या विश्वात जेव्हा जेव्हा राक्षसी शक्ती मानवास त्रासदायक होतात,तेव्हा श्रीविष्णू अवतार घेऊन त्यांचा नाश करतात.विष्णूचे अवतार दहा-मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध आणि कल्की. ज्या ज्या वेळेस विष्णूने पृथ्वीवर अवतार घेतला त्या त्या वेळेस त्यांची पत्नी लक्ष्मीनेही अवतार घेतला, रामावतरात सीता तर कृष्णावतारात रुख्मिणी. कृष्णावतारात भगवानांनी अर्जुनाला गीता सांगितली, ज्यात जीवनातील अंतीम सत्य आहे.विष्णूला नारायण म्हणूनही संबोधतात.विष्णूचे वास्तव्य क्षीरसागरात शेशनागावर आहे. त्याचे वाहन गरूड आहे.चार हातात शंख, चक्र, गदा, पद्म आहेत.समुद्रमंथनात अमृत मिळाले असता मोहिनी रूप घेऊन ते त्यांनी देवांना मिळवून दिले.
Vishnu,also known as Narayana is the Supreme Being or Ultimate Reality In the Trimurti, Vishnu is responsible for the maintenance or 'preservation' of the universe, with the other roles of creation and destruction being under the care of Brahma and Shiva, respectively. when powers of good and evil (gods and demons) are in contention for domination over the world. When these powers are upset Vishnu, it is believed, descends to earth, or his avatar, to equalized the powers. Further it is thought that ten such incarnations or reincarnations of Vishnu will occur. Nine descents are said to have already occurred, the tenth is yet to come. These avatars were Matsya (fish), Kurma (tortoise), Varaha (boar ), Nara-simha (man-lion), Vamana (dwarf), Parashurama (a powerful warrior), Rama, Krishna, Buddha and Kalki (white horse). A romantic aspect of the myths, is that whenever Vishnu descends to earth he marries Lakshmi (his Goddess wife). They are destined to marry on earth as in heaven. When Vishnu is Rama, Lakshmi is born as Sita. As Krishna he marries her as Rukmini. In his cosmic form Vishnu is seen reclining on a many headed serpent called Ananta and the oceans lie subdued under him. He holds a chakra (discus) in a hand with which he maintains order in the universe. The shankha or conch was retrieved by him during the churning of the oceans, and its deep humming sound is an evocation of the sea. He holds a lotus for peace and a gada (mace) a controlling weapon. Garuda the eagle is his celestial vehicle.
Type: INDEX | Rank: 3.604641 | Lang: NA
-
विष्णु वामन शिरवाडकर
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 3.408979 | Lang: NA
-
भूपाळी श्रीविष्णूची - राम कृष्ण विष्णु गोविंद ॥...
रंगनाथ स्वामींचा जन्म शके १५३४ परिघाविसंवत्सर मार्गशीर्ष शुद्ध १० रोजीं झाला.
Type: PAGE | Rank: 3.248337 | Lang: NA
-
श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दार - वन्दौं विष्णु विश्वाधार ...
श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दारके परमोपयोगी सरस पदोंसे की गयी भक्ति भगवान को परम प्रिय है।
Type: PAGE | Rank: 3.248337 | Lang: NA
-
स्फुट श्लोक - हरादी विधी विष्णु हे गूणर...
ऐतिहासिक पुराव्यांनुसार, समर्थ रामदासांनी रचलेल्या दासबोध या ग्रंथाचे लेखनिक कल्याणस्वामी होते.
Type: PAGE | Rank: 3.239966 | Lang: NA
-
विष्णु महाराज सोमण यांचीं पदें
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
Type: PAGE | Rank: 3.235358 | Lang: NA
-
विधीः - विष्णु पूजन विधि:
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
Type: PAGE | Rank: 3.234232 | Lang: NA
-
विष्णु महाराज सोमण यांचीं पदें - पदे १३ ते २९
श्रीकृष्ण बांदकर महाराजांचा जन्म शके १७६६ क्रोधीनाम संवत्सरात आषाढ शुद्ध ११ एकादशीच्या महापर्वणीस झाले.
Type: PAGE | Rank: 3.233571 | Lang: NA
-
विष्णुकृतं गणेशस्तोत्रम् - नारायण उवाच ॥ अथ विष्णु:...
देवी देवतांची स्तुती करताना म्हणावयाच्या रचना म्हणजेच स्तोत्रे. स्तोत्रे स्तुतीपर असल्याने, त्यांना कोणतेही वैदिक नियम नाहीत. स्तोत्रांचे पठण केल्याने इच्छित फल प्राप्त होते. Stotras are invariably uttered aloud and consist of chanting verses conveying the glory and attributes of God.
Type: PAGE | Rank: 3.231595 | Lang: NA
-
विष्णु-गायत्री मंत्र
रुद्राक्ष अत्यंत पवित्र, शंकरांना अत्यंत प्रिय, तसेच दर्शन, स्पर्श व जप द्वारा सर्व पापे नष्ट होतात.
Type: PAGE | Rank: 3.229502 | Lang: NA
-
विष्णु-पूजनमें विहित पत्र-पुष्प
प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे.
Type: PAGE | Rank: 3.223224 | Lang: NA
-
विष्णु-पञ्चायतन पूजन
प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे.
Type: PAGE | Rank: 3.223224 | Lang: NA
-
विष्णु ऋषि
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 2.1767 | Lang: NA
-
विष्णु ऋषी
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 2.1767 | Lang: NA
-
विष्णु मंदिर
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 2.068474 | Lang: NA
-
श्रीविष्णुपुराण - द्वितीय अंश - अध्याय ११
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जो मनुष्य भक्ति और आदर के साथ विष्णु पुराण को पढते और सुनते है,वे दोनों यहां मनोवांछित भोग भोगकर विष्णुलोक में जाते है।
Type: PAGE | Rank: 2.056783 | Lang: NA
-
श्रीविष्णुपुराण - प्रथम अंश - अध्याय २
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जो मनुष्य भक्ति और आदर के साथ विष्णु पुराण को पढते और सुनते है,वे दोनों यहां मनोवांछित भोग भोगकर विष्णुलोक में जाते है।
Type: PAGE | Rank: 2.055641 | Lang: NA
-
वामनपुराण - प्रस्तावना
भगवान विष्णु ह्यांचा वामन अवतार हा पाचवा तसेच त्रेता युगातील पहिला अवतार होता.
Type: PAGE | Rank: 2.049917 | Lang: NA
-
श्रीविष्णुपुराण - प्रथम अंश - अध्याय १६
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जो मनुष्य भक्ति और आदर के साथ विष्णु पुराण को पढते और सुनते है,वे दोनों यहां मनोवांछित भोग भोगकर विष्णुलोक में जाते है।
Type: PAGE | Rank: 2.048323 | Lang: NA
-
श्रीविष्णुपुराण - द्वितीय अंश - अध्याय ७
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जो मनुष्य भक्ति और आदर के साथ विष्णु पुराण को पढते और सुनते है,वे दोनों यहां मनोवांछित भोग भोगकर विष्णुलोक में जाते है।
Type: PAGE | Rank: 2.0468 | Lang: NA
-
श्रीविष्णुपुराण - प्रथम अंश - अध्याय ८
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जो मनुष्य भक्ति और आदर के साथ विष्णु पुराण को पढते और सुनते है,वे दोनों यहां मनोवांछित भोग भोगकर विष्णुलोक में जाते है।
Type: PAGE | Rank: 2.0468 | Lang: NA
-
श्रीविष्णुपुराण - प्रथम अंश - अध्याय ६
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जो मनुष्य भक्ति और आदर के साथ विष्णु पुराण को पढते और सुनते है,वे दोनों यहां मनोवांछित भोग भोगकर विष्णुलोक में जाते है।
Type: PAGE | Rank: 2.043435 | Lang: NA
-
श्रीविष्णुपुराण - प्रथम अंश - अध्याय २२
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जो मनुष्य भक्ति और आदर के साथ विष्णु पुराण को पढते और सुनते है,वे दोनों यहां मनोवांछित भोग भोगकर विष्णुलोक में जाते है।
Type: PAGE | Rank: 2.040522 | Lang: NA
-
श्रीविष्णुपुराण - द्वितीय अंश - अध्याय १०
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जो मनुष्य भक्ति और आदर के साथ विष्णु पुराण को पढते और सुनते है,वे दोनों यहां मनोवांछित भोग भोगकर विष्णुलोक में जाते है।
Type: PAGE | Rank: 2.040522 | Lang: NA
-
श्रीविष्णुपुराण - तृतीय अंश - अध्याय ८
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जो मनुष्य भक्ति और आदर के साथ विष्णु पुराण को पढते और सुनते है, वे दोनों यहां मनोवांछित भोग भोगकर विष्णुलोक में जाते है।
Type: PAGE | Rank: 2.039444 | Lang: NA
-
श्रीविष्णुपुराण - तृतीय अंश - अध्याय १
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जो मनुष्य भक्ति और आदर के साथ विष्णु पुराण को पढते और सुनते है,वे दोनों यहां मनोवांछित भोग भोगकर विष्णुलोक में जाते है।
Type: PAGE | Rank: 2.039444 | Lang: NA
-
श्रीविष्णुपुराण - तृतीय अंश - अध्याय ३
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जो मनुष्य भक्ति और आदर के साथ विष्णु पुराण को पढते और सुनते है,वे दोनों यहां मनोवांछित भोग भोगकर विष्णुलोक में जाते है।
Type: PAGE | Rank: 2.037383 | Lang: NA
-
श्रीविष्णुपुराण - प्रथम अंश - अध्याय १७
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जो मनुष्य भक्ति और आदर के साथ विष्णु पुराण को पढते और सुनते है,वे दोनों यहां मनोवांछित भोग भोगकर विष्णुलोक में जाते है।
Type: PAGE | Rank: 2.037383 | Lang: NA
-
श्रीविष्णुपुराण - द्वितीय अंश - अध्याय १२
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जो मनुष्य भक्ति और आदर के साथ विष्णु पुराण को पढते और सुनते है,वे दोनों यहां मनोवांछित भोग भोगकर विष्णुलोक में जाते है।
Type: PAGE | Rank: 2.037225 | Lang: NA
-
श्रीविष्णुपुराण - चतुर्थ अंश - अध्याय १
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जो मनुष्य भक्ति और आदर के साथ विष्णु पुराण को पढते और सुनते है, वे दोनों यहां मनोवांछित भोग भोगकर विष्णुलोक में जाते है।
Type: PAGE | Rank: 2.037225 | Lang: NA
-
श्रीविष्णुपुराण - तृतीय अंश - अध्याय ७
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जो मनुष्य भक्ति और आदर के साथ विष्णु पुराण को पढते और सुनते है, वे दोनों यहां मनोवांछित भोग भोगकर विष्णुलोक में जाते है।
Type: PAGE | Rank: 2.037225 | Lang: NA
-
श्रीविष्णुपुराण - प्रथम अंश - अध्याय ७
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जो मनुष्य भक्ति और आदर के साथ विष्णु पुराण को पढते और सुनते है,वे दोनों यहां मनोवांछित भोग भोगकर विष्णुलोक में जाते है।
Type: PAGE | Rank: 2.034243 | Lang: NA
-
श्रीविष्णुपुराण - तृतीय अंश - अध्याय ११
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जो मनुष्य भक्ति और आदर के साथ विष्णु पुराण को पढते और सुनते है, वे दोनों यहां मनोवांछित भोग भोगकर विष्णुलोक में जाते है।
Type: PAGE | Rank: 2.034243 | Lang: NA
-
श्रीविष्णुपुराण - प्रथम अंश - अध्याय १३
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जो मनुष्य भक्ति और आदर के साथ विष्णु पुराण को पढते और सुनते है,वे दोनों यहां मनोवांछित भोग भोगकर विष्णुलोक में जाते है।
Type: PAGE | Rank: 2.032785 | Lang: NA
-
श्रीविष्णुपुराण - द्वितीय अंश - अध्याय २
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जो मनुष्य भक्ति और आदर के साथ विष्णु पुराण को पढते और सुनते है,वे दोनों यहां मनोवांछित भोग भोगकर विष्णुलोक में जाते है।
Type: PAGE | Rank: 2.032674 | Lang: NA
-
श्रीविष्णुपुराण - प्रथम अंश - अध्याय ४
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जो मनुष्य भक्ति और आदर के साथ विष्णु पुराण को पढते और सुनते है,वे दोनों यहां मनोवांछित भोग भोगकर विष्णुलोक में जाते है।
Type: PAGE | Rank: 2.032674 | Lang: NA
-
श्रीविष्णुपुराण - तृतीय अंश - अध्याय १७
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जो मनुष्य भक्ति और आदर के साथ विष्णु पुराण को पढते और सुनते है, वे दोनों यहां मनोवांछित भोग भोगकर विष्णुलोक में जाते है।
Type: PAGE | Rank: 2.032674 | Lang: NA
-
श्रीविष्णुपुराण - तृतीय अंश - अध्याय २
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जो मनुष्य भक्ति और आदर के साथ विष्णु पुराण को पढते और सुनते है,वे दोनों यहां मनोवांछित भोग भोगकर विष्णुलोक में जाते है।
Type: PAGE | Rank: 2.032674 | Lang: NA
-
श्रीविष्णुपुराण - प्रथम अंश - अध्याय १५
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जो मनुष्य भक्ति और आदर के साथ विष्णु पुराण को पढते और सुनते है,वे दोनों यहां मनोवांछित भोग भोगकर विष्णुलोक में जाते है।
Type: PAGE | Rank: 2.032561 | Lang: NA
-
श्रीविष्णुपुराण - प्रथम अंश - अध्याय १८
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जो मनुष्य भक्ति और आदर के साथ विष्णु पुराण को पढते और सुनते है,वे दोनों यहां मनोवांछित भोग भोगकर विष्णुलोक में जाते है।
Type: PAGE | Rank: 2.031104 | Lang: NA
-
श्रीविष्णुपुराण - प्रथम अंश - अध्याय १९
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जो मनुष्य भक्ति और आदर के साथ विष्णु पुराण को पढते और सुनते है,वे दोनों यहां मनोवांछित भोग भोगकर विष्णुलोक में जाते है।
Type: PAGE | Rank: 2.029535 | Lang: NA