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ब्रह्म
Meanings: 196; in Dictionaries: 11
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पञ्च-ब्रह्म
Meanings: 3; in Dictionaries: 3
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संरचनात्मक सूत्र
Meanings: 3; in Dictionaries: 3
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सूत्र
Meanings: 60; in Dictionaries: 10
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श्रीनारदभक्तिसूत्रें - सूत्र ५१
नारद भक्ति सूत्र या ग्रंथाचे रसाळ निरूपण संत केशवराज महाराज देशनुख यांनी केले आहे.
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श्रीनारदभक्तिसूत्रें - सूत्र ६६
नारद भक्ति सूत्र या ग्रंथाचे रसाळ निरूपण संत केशवराज महाराज देशनुख यांनी केले आहे.
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ब्रह्म उपनिषद्
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
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निर्गुण ब्रह्म
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शिखा-सूत्र
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
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प्रथमोध्यायः - प्रथमः पादः
ब्रह्मसूत्रम् अनुभाष्यम्
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चतुर्थोध्यायः - प्रथमः पादः
ब्रह्मसूत्रम् अनुभाष्यम्
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द्वितीयोध्यायः - तृतीयः पादः
ब्रह्मसूत्रम् अनुभाष्यम्
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प्रथमोध्यायः
ब्रह्मसूत्रम् अनुभाष्यम्
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तृतीयोध्यायः - तृतीयः पादः
ब्रह्मसूत्रम् अनुभाष्यम्
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द्वितीयोध्यायः - द्वितीयः पादः
ब्रह्मसूत्रम् अनुभाष्यम्
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चतुर्थोध्यायः - द्वितीयः पादः
ब्रह्मसूत्रम् अनुभाष्यम्
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तृतीयोध्यायः - द्वितीयः पादः
ब्रह्मसूत्रम् अनुभाष्यम्
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सगुण ब्रह्म
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ब्रह्म उपनिषद
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
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निर्गूण ब्रह्म
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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पञ्च-ब्रह्म उपनिषद्
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
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पञ्च-ब्रह्म उपनिषद
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
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ब्रह्म सावर्णि मनु
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
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ब्रह्मसूत्रम् अनुभाष्यम् - द्वितीयोध्यायः
ब्रह्मसूत्रम् अनुभाष्यम्
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तृतीयोध्यायः - प्रथमः पादः
ब्रह्मसूत्रम् अनुभाष्यम्
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ब्रह्मसूत्रम् अनुभाष्यम् - चतुर्थोध्यायः
ब्रह्मसूत्रम् अनुभाष्यम्
Type: INDEX | Rank: 0.9589192 | Lang: NA
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द्वितीयोऽध्यायः
ब्रह्मसूत्रम् अनुभाष्यम्
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द्वितीयोध्यायः - प्रथमः पादः
ब्रह्मसूत्रम् अनुभाष्यम्
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चतुर्थोध्यायः - तृतीयः पादः
ब्रह्मसूत्रम् अनुभाष्यम्
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ब्रह्मसूत्रम् अनुभाष्यम्
ब्रह्मसूत्रम् अनुभाष्यम्
Type: INDEX | Rank: 0.9589192 | Lang: NA
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प्रथमोध्यायः - द्वितीयः पादः
ब्रह्मसूत्रम् अनुभाष्यम्
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प्रथमोध्यायः - तृतीयः पादः
ब्रह्मसूत्रम् अनुभाष्यम्
Type: PAGE | Rank: 0.9589192 | Lang: NA
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ब्रह्मसूत्रम् अनुभाष्यम् - प्रथमोध्यायः
ब्रह्मसूत्रम् अनुभाष्यम्
Type: INDEX | Rank: 0.9589192 | Lang: NA
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ब्रह्मसूत्रम् अनुभाष्यम् - तृतीयोध्यायः
ब्रह्मसूत्रम् अनुभाष्यम्
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चतुर्थोध्यायः
ब्रह्मसूत्रम् अनुभाष्यम्
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अरूप ब्रह्म
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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संत निवृत्तीनाथांचे अभंग - मंगल मांगल्य ब्रह्म हें स...
संत निवृत्तीनाथांचे अभंग संत निवृत्तीनाथ हे संत ज्ञानेश्वर महाराजांचे थोरले बंधू होत.सर्वसामान्य जनतेला संस्कृत भाषेतील भगवद्गीता समजत नव्हती म्हणून निवृत्तीनाथांनी ज्ञानेश्वरांना प्राकृत(मराठी)भाषेत लिहीण्यास सांगितली, तीच "ज्ञानेश्वरी". The eldest, Nivrutti, joined the nath sect and became Nivruttinath. He also become the guru of Dnyaneshwar. He, at the age of fourteen, instructed Dnyaneshwar, who was twelve, to write a commentry on the Bhagavad Gita
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चतुर्दश ब्रह्म नाम - ॥ समास दूसरा - ब्रह्मनिरूपणनाम ॥
श्रीसमर्थ ने ऐसा यह अद्वितीय-अमूल्य ग्रंथ लिखकर अखिल मानव जाति के लिये संदेश दिया है ।
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संत जनाबाई - विटेवरी ब्रह्म दिस । साधु...
जनाबाई, दासीपणाची कामे करीत असताना तिच्या मनाने, अभंगांतून आध्यात्मिक प्रगती आणि पारमार्थिक उन्नती केली.
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भजन - तू ब्रह्म चीन्हो रे ब्रह्...
हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।
Type: PAGE | Rank: 0.8659799 | Lang: NA
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ब्रह्म - शापविमोचन
प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे.
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भजन - ब्रह्म मैं ढूँढ़्यौ पुरानन...
हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।
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संत निवृत्तीनाथांचे अभंग - योगियांचे धन तें ब्रह्म स...
संत निवृत्तीनाथांचे अभंग संत निवृत्तीनाथ हे संत ज्ञानेश्वर महाराजांचे थोरले बंधू होत.सर्वसामान्य जनतेला संस्कृत भाषेतील भगवद्गीता समजत नव्हती म्हणून निवृत्तीनाथांनी ज्ञानेश्वरांना प्राकृत(मराठी)भाषेत लिहीण्यास सांगितली, तीच "ज्ञानेश्वरी". The eldest, Nivrutti, joined the nath sect and became Nivruttinath. He also become the guru of Dnyaneshwar. He, at the age of fourteen, instructed Dnyaneshwar, who was twelve, to write a commentry on the Bhagavad Gita
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भक्ति गीत कल्पतरू - मना तुं ब्रह्म पाही तें ।...
खास हितचिंतक व प्रेमळ भगिनींसाठी श्रीमती हरिभक्तपरायण वारूताई कागलकर कृत भजनांची " कल्पतरू " सुमनावली.
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चतुर्दश ब्रह्म नाम - ॥ समास चौथा - विमलब्रह्मनिरूपणनाम ॥
श्रीसमर्थ ने ऐसा यह अद्वितीय-अमूल्य ग्रंथ लिखकर अखिल मानव जाति के लिये संदेश दिया है ।
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चतुर्दश ब्रह्म नाम - ॥ समास तीसरा - चतुर्दशब्रह्मनिरूपणनाम ॥
श्रीसमर्थ ने ऐसा यह अद्वितीय-अमूल्य ग्रंथ लिखकर अखिल मानव जाति के लिये संदेश दिया है ।
Type: PAGE | Rank: 0.8612732 | Lang: NA
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भक्ति गीत कल्पतरू - सदा सत्चिदरुप ब्रह्म । म...
खास हितचिंतक व प्रेमळ भगिनींसाठी श्रीमती हरिभक्तपरायण वारूताई कागलकर कृत भजनांची " कल्पतरू " सुमनावली.
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भजन - ब्रह्म विष्णू आणि महेश्व...
भजन - A bhajan or kirtan is a Hindu devotional song , often of ancient origin. Great importance is attributed to the singing of bhajans with Bhakti , i.e. loving devotion. "Rasanam Lakshanam Bhajanam" means the act by which we feel more closer to our inner self or God, is a bhajan. Acts which are done for the God is called bhajan.
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चतुर्दश ब्रह्म नाम - ॥ समास पाचवां - द्वैतकल्पनानिरसनननाम ॥
श्रीसमर्थ ने ऐसा यह अद्वितीय-अमूल्य ग्रंथ लिखकर अखिल मानव जाति के लिये संदेश दिया है ।
Type: PAGE | Rank: 0.8606234 | Lang: NA
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संत निवृत्तीनाथांचे अभंग - ब्रह्मांड करी हरि ब्रह्म ...
संत निवृत्तीनाथ हे संत ज्ञानेश्वर महाराजांचे थोरले बंधू होत.सर्वसामान्य जनतेला संस्कृत भाषेतील भगवद्गीता समजत नव्हती म्हणून निवृत्तीनाथांनी ज्ञानेश्वरांना प्राकृत(मराठी)भाषेत लिहीण्यास सांगितली, तीच "ज्ञानेश्वरी". The eldest, Nivrutti, joined the nath sect and became Nivruttinath. He also become the guru of Dnyaneshwar. He, at the age of fourteen, instructed Dnyaneshwar, who was twelve, to write a commentry on the Bhagavad Gita
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