कदलीव्रत
( भविष्योत्तरपुराण ) -
भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशीको कदली ( केला ) के पेड़के समीप बैठकर अनेक प्रकारके फल, पुष्प और धूप - दीपादिसे उसका पूजन करे । सप्तधान्य, रक्तचन्दन, घृत - दीपक, दही, दूब, अक्षत, वस्त्र, घृतपाचित नैवेद्य, जायफल, पूगफल और प्रदक्षिणासे अर्चन सम्पन्नकर
' चिन्तयेत् कदलीं नित्यं कदलैः कामदीपितैः । शरीरारोग्यलावण्यं देहि देवि नमोऽस्तु ते ॥'
से प्रार्थना करे । इस प्रकार तीन या चार मास करे तो उस कुलमें स्त्री कुलटा नहीं हों । सब पुत्र - पौत्रादिसंयुक्त सौभाग्यशालिनी सदाचारिणी हों !