सूर्यषष्ठी
( भविष्योत्तर ) -
सप्तमीप्रयुक्त भाद्रपद शुक्ल षष्ठीको स्त्रान, दान, जप और व्रत करनेसे अक्षय फल होता है । विशेषकर सूर्यका पूजन, गड्गाका दर्शन और पञ्चगव्यप्राशनसे अश्वमेधके समान फल होता है । पूजामें गन्ध, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य मुख्य हैं ।