भजन - देख सखी नव छैल छबीलौ , प्...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


देख सखी नव छैल छबीलौ, प्रातसमय इततें को आवै ।

कमलसमान बड़े दृग जाके, स्याम सलौनो मृदु मुसकावै ॥१॥

जाकी सुन्दरता जग बरनत, मुख-सोभा लखि चंद लजावै ।

नारायन यह किधौं वही है, जो जसुमतिकौ कुँवर कहावै ॥२॥

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Last Updated : December 24, 2007

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