हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|नारायण स्वामी| सखि , मेरे मनकी को जानै ।... नारायण स्वामी सखि , मेरे मनकी को जानै ।... जाहि लगन लगी घनस्यामकी ।... प्रीतम , तू मोहिं प्रान त... करु मन, नंदनँदनको ध्यान ।... स्याम दृगनकी चोट बुरी री ... नंदनँदनके ऐसे नैन । अति ... या साँवरेसों मैं प्रीति ल... देख सखी नव छैल छबीलौ , प्... मोपै कैसी यह मोहिनी डारी ... चाहै तू योग करि भृकुटीमध्... नयनों रे , चित -चोर बतावौ... रुपरसिक , मोहन , मनोज -मन... मूरख , छाड़ि बृथा अभिमान ।... भजन - सखि , मेरे मनकी को जानै ।... हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है। Tags : bhajannarayan swamiनारायण स्वामीभजन आसावरी Translation - भाषांतर सखि, मेरे मनकी को जानै । कासों कहौं सुनै जो चित दै, हितकी बात बखानै ॥ ऐसो को है अंतरजामी, तुरत पीर पहिचानै । नारायन जो बीत रही है, कब कोई सच मानै ॥ N/A References : N/A Last Updated : December 24, 2007 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP