नंदनँदनके ऐसे नैन ।
अति छबि भरे नागके छौना, डरति डसैं करि सैन ॥
इन सम साबर मंत्र न होई, जादू जंत्र, तंत्र नहिं कोई ।
एक दृष्टिमें मन हरि लेवैं करि देवैं बेचैन ॥
चितवनमें घायल करि डारैं इनपै कोटि बान लै बारैं ।
अति पैने, तिरछे हिय कसकैं, स्वास न देवैं लेन ॥
चंचल चपल मनोहर कारे, खंजन-मान लजावन हारे ।
नारायन सुन्दर मतवारे अनियारे, दुख दैन ॥