भजन - करु मन, नंदनँदनको ध्यान ।...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


करु मन, नंदनँदनको ध्यान ।

यहि अवसर तोहिं फिर न मिलैगौ, मेरौ कह्यौ अब मान ॥

घूँघरवारी अलकैं मुखपै, कुंडल झलकत कान ।

नारायन अलसाने नैना, झूमत रुप निधान ॥

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Last Updated : December 24, 2007

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