हिन्दी पद - पद ६
संत नामदेवजीने हिन्दी में भी बहुत सुंदर और भक्तिपूर्ण रचनायें की है ।
६.
सुलतान पुछे सुनरे नामा । देखो राम तुमारे कामा ॥
नामा सुलतानें बांधा । देखो तेरा हर विठा ॥
बिस्मील गौ देव जिवाय । नहि म तो गर्दन मारूं ठाय ॥१॥
बादशाह ऐसी क्यौ होये । विस्मिल किय न जिवे कोय ॥
मेरा किया कुछु न होय । कर है राम होय है सोय ॥२॥
बादशाह चढयो हंकार । गजहस्ती दिनो चमकार ॥
रुदन करे नामेकी माय । छोड राम किन भजे खुदाय ॥३॥
नाहू तेरा पुंगडा ना तुं मेरी माय । पिंड पडे तो हरगुन गाय ॥
करे गजेंद्र सोंडकी चोट । नामा उभरे हरकी ओट ॥४॥
काजी मुल्ला करे सलाम । ईन हिंदु मेरा मल्या मान ॥
बादशाह बिनति सुनये हो । नामें सेरभर सोना लेव ॥५॥
माल लेवूं तो दोजक परूं । दीन छोड दुनियाको भरूं ॥
पावो बेडी हाथो ताल । नामा गावे गुण गोपाल ॥६॥
गंगा जमन जब उलटी बहे । तो नामा हर करता रहे ॥
सात घरी जब बिती सुनी । अबहून आयो त्निभुवनवनी ॥७॥
पांखतन बाज बजाईला । गरुड चढे गोविंद आइला ॥
आपने भक्तकी करी प्रीत पाल । गरुड चढ आये गोपाल ॥८॥
कहत धरन कोडी करू । कहत लेकर उपर धरूं
कहत मुई गौ देहु जवाय । सब कोई देखे पति आय ॥९॥
नामा परणवे सेलम सेल । गौ दुहाई बछरा मेला ॥
दूध दोह जब मटकी भरी । लेबादशाहके आगे धरी ॥१०॥
बादशाअह महलमे जाय । और घटकी घट लागी आय ॥
काजी मुल्ला बिनति फर्माय । बक्षसि हिंदु मै तेरी गाय ॥११॥
नामा कहे सुनो बादशाह । यह कुछ पतिया मुझे दिखाय ॥
ईस पती याक अएह प्रमाण । साच सील चालो मुलतान ॥१२॥
नामदेव सब रह्यो समाय । मिल हिंदुसब नामें पह जाय ।
जो अबकी बार न जीवे गाय । नाम देवका पतिया जाय ॥१३॥
नामे की कीरत रही संसार । भक्त जनाले उधरा पार ॥
सकल क्लेश निदक भया खेद । नामें नारायण नही भेद ॥१४॥
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Last Updated : November 11, 2016
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