शल n. (सू. इ.) अयोध्या का एक राजा, जो परिक्षित् एवं सुशोभना के तीन पुत्रों में से एक था । इसके अन्य दो भाइयों के नाम दल एवं बल थे ।
शल n. एक बार यह शिकार करने वन में गया । वहाँ इसके रथ के अश्व थक गये, जिस कारण वहाँ समीप ही स्थित वामदेव ऋषि के आश्रम में यह गया, एवं उसके अश्व इसने थोडे समय के लिए माँग लिये। वामदेव ने इसे यह शर्त बतायी थी कि, अश्वों का काम होते ही वे उसे वापस मिलने चाहिये। आगे चल कर वचनभंग कर, इसने वामदेव के अश्व वापस करने से इन्कार किया । इतना ही नहीं, वे अश्व वामदेव के न हो कर, स्वयं के है, ऐसा मिथ्या वचन यह कहने लगा। इस कारण क्रुद्ध हो कर वामदेव ने चार राक्षस निर्माण किये, एवं उन्हींके द्वारा इसका वध करवाया । इसके वध के पश्चात् इसका भाई दल अयोध्या का राजा बन गया
[म. व. १९०.६-९] ।
शल II. n. (सो. कुरु.) एक राजा, जो कुरुवंशीय सोमदत्त राजा का पुत्र, एवं भूरिश्रवस् राजा का भाई था । इसे ‘सांयमनि’ पैतृक नाम प्राप्त था । द्रौपदी के स्वयंवर में, एवं युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में यह उपस्थित था
[म. आ. १७७.१४] । भारतीय युद्ध में यह कौरवों के पक्ष में शामिल था, एवं भीष्म के द्वारा निर्माण किये गये गरुडव्युव्ह के वामभाग में खड़ा था । इसने निम्नलिखित योद्धाओं के साथ युद्ध किया थाः-- १. अभिमन्यु
[म. द्रो. ३६.७] ; २. द्रौपदी के पुत्र
[म. द्रो. ८१.१५] । अंत में श्रुतकर्मन् के द्वारा इसका वध हुआ
[म. द्रो. ८३.१०] ।
शल III. n. धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों में से एक, जो भीम के द्वारा मारा गया था
[म. क. ६२.५] ।
शल IV. n. वासुकिकुलोत्पन्न एक नाग, जो जनमेजय के सर्पसत्र में दग्ध हुआ था
[म. आ. ५२.५ पाठ.] ।
शल V. n. एक असुर, जो विप्रचित्ति एवं सिंहिका के पुत्रों में से एक था
[ब्रह्मांड. ३.६.१९] । परशुराम ने इसका वध किया ।
शल VI. n. कंसपक्षीय एक पहलवान, जो कृष्ण के द्वारा मारा गया
[भा. १.१५.१६] ।
शल VII. n. एक असुर, जो वृक एवं दुर्वाक्षी क पुत्रों में से एक था
[भा. ९.२४.४३] ।
शल VIII. n. सुतहोत्र राजा का पुत्र
[वायु. ९२.३] ।