तुर्वश n. एक वैदिक राजा तथा ज्ञातिसमूह । हॉपकिन्स के मत में, ‘तुर्वश’ एक ज्ञातिसमूह का नाम है, जिसका एकवचन उसके राजा का द्योतक है
[हॉपकिन्स.उ.पु.२५८] । यदु राजा एवं ज्ञाति से तुर्वशों का घनिष्ठ संबंध था
[ऋ.४.३०.१७,१०.६२.१०] । दाशराज्ञ-युद्ध में, तुर्वश राजा ने सुदास के विरुद्ध युद्ध किया था । किंतु इस युद्ध में यह स्वयं पराभूत हुआ
[ऋ. ७.१८.६] । इस युद्ध में भागने (‘तुर’) के कारण, इसका नाम तुर्वश पड गया
[हॉपकिन्स.उ.पु. २६४] । इस राजा पे इंद्र की कृपा थी । इस कृपा के कारण, दाशराज्ञ-युद्ध के पश्चात्, इंद्र ने इसकी सहायता की । अनु तथा द्रुहयु के समान, यह पानी में डूब कर नहीं मरा । इसकी द्वारा की गयी इंद्रस्तुति में, ‘तुमने यदुतुर्वशों की रक्षा की, उसी प्रकार हमारी रक्षा करो,; ऐसी प्रार्थना आयी है
[ऋ.४.४५.१] । उसी प्रकार, ‘अतिथिग्व का कल्याण करनेवाले तुम यदुतुर्वशों का वध करो,’ ऐसी भी प्रार्थना की गयी है । तुर्वश तथा यदु ने, अर्ण एवं चित्ररथ राजाओं का सरयू के किनारे वध किया था
[ऋ.४.३०.१८] । सुदास के पिता दिवोदास पर तुर्वश एवं यदु ज्ञातियों ने आक्रमण किया था
[ऋ.६.४५.२,९.६१ २] । वृचीवत्, वरशिख तथा पार्थव ज्ञातियों का अतुर्वशों से अतिनिकट संबंध था । यव्यावती तथा हरियूपीया नदीयों के तट पर, दैवरात तुर्वश को वृचीवन्तों, ने मदद की थी
[ऋ.६.२७.५-७] । यदुतुर्वशों के पुरोहित कण्व थे
[ऋ.८.४.७] । इन्हे अभ्यावर्ति चायमान ने जीता था
[ऋ. ६.२७.२८] । शोण सात्रासह पांचाल राजा से यदुतुर्वशों का काफी सख्यत्व था । तैतीस तुर्वश अश्वे एवं छह हजार सशस्त्र सैनिकों के साथ इन्होंने पांचाल राजाओं को मदद की थी । ब्राह्मणों में अनेक तौर्वशों का निर्देश है
[श. ब्रा.१३.५.४.१६] । अन्त में, तुर्वश लोग पांचालों में विलीन हो गये
[ओल्डेनबर्ग-बुद्ध. ४०४] । इन लोगों के निवासस्थान के बारे में निश्चित पता नहीं लगता । इन लोगों ने परुण्णी नदी को पार किया था
[ऋ. ७.१८] । ये लोक पश्चिम से पूर्व दिशा के ओर भरतो के देश में आगे बढे, ऐसा प्रतीत होता है
[पि. वेदि.स्टु. २.२१८] । पुराणों में तुर्वशों का निर्देश ‘तुर्वसु’ नाम से किया गया है ।