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तुर्वसुदंश

   
Script: Devanagari

तुर्वसुदंश     

तुर्वसुदंश n.  इसका वंश अनेक स्थानों पर प्राप्त है [मत्स्य. ४८] ;[ब्रह्मांड ३.७४] ;[वायु.९९] ;[ब्रह्म.१३] ;[ह.वं.१.३२] ;[अग्नि.२७६] ;[विष्णु.४.१६] ;[गरुड१. १३९] ;[भा.९.२३] । अग्निपुराण में, द्रुहयु वंश के गांधार का इसी वंश में समावेश किया है । विष्णु आदि तीन पुराणों में, इस वंश का अंतिम भाग प्राप्त नही है । इस वंश के, मरुत्त ने पौरव दुष्यंत को गोद लिया । इस प्रकार यह वंश पौरवों में समाविष्ट हुआ । इसी वंश के अंतिम लोगों ने, दक्षिण में पांडय तथा चोल राज्यों की स्थापना की (ययाति देखिये) । वेदों में तुर्वसु को तुर्वश कहा है (तुर्वश देखिये,) ।

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