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کاویہ
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काव्यः
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काव्य
Meanings: 61; in Dictionaries: 13
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কাব্য
Meanings: 3; in Dictionaries: 2
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କାବ୍ୟ
Meanings: 3; in Dictionaries: 1
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કાવ્ય
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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श्री शुक्रस्तोत्रम् - शुक्रः काव्यः शुक्ररेताः ...
मनुष्य आपल्या पूर्व जन्मींच्या कर्मानुसार हा जन्म भोगत असतो, पण या जन्मीच्या सर्व पीडा नवग्रहांच्या पूजा अर्चा करून जीवन सुखमय बनवू शकतो.
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ڈِنگَل
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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venus
Meanings: 4; in Dictionaries: 4
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नवग्रहप्रार्थना - आरोग्यं सविता तनोतु जगतां...
मनुष्य आपल्या पूर्व जन्मींच्या कर्मानुसार हा जन्म भोगत असतो, पण या जन्मीच्या सर्व पीडा नवग्रहांच्या पूजा अर्चा करून जीवन सुखमय बनवू शकतो.
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भण्
Meanings: 8; in Dictionaries: 3
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मण्डल १ - सूक्तं ८३
ऋग्वेद फार प्राचीन वेद आहे. यात १० मंडल आणि १०५५२ मंत्र आहेत. ऋग्वेद म्हणजे ऋषींनी देवतांची केलेली प्रार्थना आणि स्तुति.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ३८
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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नृसिंहकवचम् - नृसिंहकवचं वक्ष्ये प्रह्ल...
रोज कवच स्तोत्राचे पठण केल्याने जीवन सुरक्षित बनते.
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मत्स्यपुराणम् - अध्यायः २५
मत्स्य पुराणात सात कल्पांचे वर्णन असून हे पुराण नृसिंह वर्णनापासून सुरू होते.
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सप्तमः स्कन्धः - अथ पंचमोऽध्यायः
’ श्रीमद्भागवतमहापुराणम्’ ग्रंथात ज्ञान, वैराग्य व भक्ति यांनी युक्त निवृत्तीमार्ग प्रतिपादन केलेला आहे, अशा या श्रीमद्भागवताचे भक्तिने श्रवण, पठन आणि निदिध्यासन करणारा मनुष्य खात्रीने वैकुंठलोकाला प्राप्त होतो.
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नृसिंहाख्यान - पंचमोऽध्यायः
' नृसिंहाख्यान 'चा पाठ केल्याने श्रीनृसिंहपुराण वाचल्याचे पुण्य मिळते, तसेच कीर्तनकारही या आख्यानावर कीर्तन करतात.
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अनुषङ्गापादः - अध्यायः ३३
ब्रह्माण्डाच्या उत्पत्तीचे रहस्य या पुराणात वर्णिलेले आहे.
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ब्रह्मपुराणम् - अध्यायः ५
ब्रह्मपुराणास आदिपुराण म्हणतात. यात सृष्टीची उत्पती, पृथुचे पावन चरित्र, सूर्य आणि चन्द्रवंशाचे वर्णन, श्रीकृष्ण-चरित्र, कल्पान्तजीवी मार्कण्डेय मुनि चरित्र, तीर्थांचे माहात्म्य अशा अनेक भक्तिपुरक आख्यानांची सुन्दर चर्चा केलेली आहे.
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जातकपारिजात - ग्रहनामस्वरूपगुणभेदाध्शाशः
दैवज्ञश्रीवैद्यानाथरचित जातक पारिजात या संस्कृत ग्रंथात सूर्य फल, नवग्रह फल, योग पिहित, भाव विचार, विषाख्य कन्या, राज्ययोग, आयुर्बल, व्यत्ययविचार, अरिष्टादि योग आणि सर्व प्रकारचे अरिष्ट नाश होणारे उपाय वर्णन केले आहेत.
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श्रीरामसहस्रनामस्तोत्रं - राजीवलोचनः श्रीमान् श्रीर...
श्री राम हा विष्णूचा सातवा अवतार आहे.
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प्रथमपरिच्छेदः - द्वादशोऽध्यायः
प्रकाशसंहिता
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प्रथमपरिच्छेदः - द्वादशोऽध्यायः
'पाञ्चरात्रागमः' एक उत्कृष्ट रचना.
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हरिवंश पर्व - सप्तमोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
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श्री हनुमान सहस्त्रनामस्तोत्रम्
हिंदू देवदेवतांची सहस्त्र नावे, स्तोत्र रूपात गुंफलेली आहेत. Sahastranaamastotra is a perticular stotra in which, the 1000 names of hindu Gods are introdused.
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श्री राम सहस्त्रनामस्तोत्रम्
हिंदू देवदेवतांची सहस्त्र नावे, स्तोत्र रूपात गुंफलेली आहेत. Sahastranaamastotra is a perticular stotra in which, the 1000 names of hindu Gods are introdused.
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अनुषङ्गापादः - अध्यायः ३२
ब्रह्माण्डाच्या उत्पत्तीचे रहस्य या पुराणात वर्णिलेले आहे.
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पूर्वार्धम् - अध्यायः ५९
वायुपुराणात खगोल, भूगोल, सृष्टिक्रम, युग, तीर्थ, पितर, श्राद्ध, राजवंश, ऋषिवंश, वेद शाखा, संगीत शास्त्र, शिवभक्ति, इत्यादिचे सविस्तर निरूपण आहे.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ५३६
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः १९१
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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मत्स्यपुराणम् - अध्यायः ४७
मत्स्य पुराणात सात कल्पांचे वर्णन असून हे पुराण नृसिंह वर्णनापासून सुरू होते.
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वामनपुराण - अध्याय ५८ वा
भगवान विष्णु ह्यांचा वामन अवतार हा पाचवा तसेच त्रेता युगातील पहिला अवतार होय.
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आञ्जनेय सहस्रनामस्तोत्रम् - ॥ श्रीः॥ ॥ श्री आञ्...
हनुमान वायुपुत्र आहे, त्यामुळे त्याच्यात प्रचंड शक्ति आहे. Hanuman is son of a wind god Vayu. Hanuman is the Divine example of pure devotion and service
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नैषधीयचरितम् - दशमः सर्गः
महाकवि श्रीहर्षरचितं नैषधीयचरितम् हा ग्रंथ म्हणजे संस्कृत भाषेतील अतिउत्तम रचना होय.
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श्रीवामनपुराण - अध्याय ५८
श्रीवामनपुराणकी कथायें नारदजीने व्यासको, व्यासने अपने शिष्य लोमहर्षण सूतको और सूतजीने नैमिषारण्यमें शौनक आदि मुनियोंको सुनायी थी ।
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श्री आञ्जनेय सहस्रनामस्तोत्रम् - उद्यदादित्य संकाशं उदार भ...
देवी देवतांची स्तुती करताना म्हणावयाच्या रचना म्हणजेच स्तोत्रे. स्तोत्रे स्तुतीपर असल्याने, त्यांना कोणतेही वैदिक नियम नाहीत. स्तोत्रांचे पठण केल्याने इच्छित फल प्राप्त होते.
In Hinduism, a Stotra is a hymn of praise, that praise aspects of Devi and Devtas. Stotras are invariably uttered aloud and consist of chanting verses conveying the glory and attributes of God.
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भर्गाख्यः पञ्चमांशः - सप्तविंशोऽध्यायः
श्रीशिवरहस्यम्
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उत्तरार्धम् - अध्यायः ३५
वायुपुराणात खगोल, भूगोल, सृष्टिक्रम, युग, तीर्थ, पितर, श्राद्ध, राजवंश, ऋषिवंश, वेद शाखा, संगीत शास्त्र, शिवभक्ति, इत्यादिचे सविस्तर निरूपण आहे.
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प्रथमांशुः - ग्रहयज्ञः
‘कृत्य दिवाकरः’ या ग्रंथाद्वारे शास्त्रोक्त पूजा पाठ कसे करावेत याचे ज्ञान मिळते.
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सृष्टिखण्डः - अध्यायः १३
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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अनेकार्थसङ्ग्रहः - द्विस्वरकाण्डः
आचार्यश्रीहेमचन्द्रेण विरचितः अनेकार्थसङ्ग्रहो नाम कोशः
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श्रीहनुमत्सहस्रनाम स्तोत्र
स्तोत्र (Stotra) का अर्थ है देवताओं की स्तुति में लिखे गए भजन या प्रार्थनाएँ।
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अथर्ववेदः - काण्डं २०
अथर्ववेदात देवतांची स्तुति तसेच जादू, चमत्कार, चिकित्सा, विज्ञान आणि दर्शनाचे मन्त्र सुद्धा आहेत.
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