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सौति

   { sautiḥ, sauti }
Script: Devanagari

सौति     

Puranic Encyclopaedia  | English  English
SAUTI   A famous son of hermit Romaharṣaṇa. The real name of this son was Ugraśravas. This teacher is responsible for the arrangement of the Mahābhārata. in the form that we see today. The story of Mahābhārata composed by Vyāsa and Vaiśampāyana contained only a graphic description of the battle of Bhārata. No vivid description of Śrī Kṛṣṇa born of the Yādava dynasty and of the Yādavas, was given in it. To remove this deficiency, Sauti added an appendix called ‘[Harivaṁśa] ’ to [Svargārohaṇa Parva in Mahābhārata] . (For further details see under Bhārata I).

सौति     

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See : सौत

सौति     

सौति (रोमहर्षणसुत) n.  एक सुविख्यात पुराण प्रवक्ता आचार्य, जो रोमहर्षण सूत नामक पुराणप्रवक्ता आचार्य का पुत्र एवं शिष्य था । यह व्यास की पुराणशिष्यपंरपरा एवं महाभारत परंपरा का प्रमुख आचार्य था । इसी कारण पौराणिक साहित्य में इसका निर्देश ‘महामुनि’ एवं ‘जगद्गुरु’ आदि गौरवात्मक उपाधियों के साथ किया गया है [विष्णु. ३.४.१०] । इसका सही नाम अग्रश्रवस् था । कुरुक्षेत्र में समन्त पंचक क्षेत्र में, शौनकादि नैमिषारण्यवासी ऋषियों को महाभारत की कथा कथन करने का ऐतिहासिक कार्य इसने किया । इसी कारण महाभारतपरंपरा में इसका नाम व्यास एवं वैशंपायन इतना ही आदरणीय माना जाता है ।
सौति (रोमहर्षणसुत) n.  महाभारत की कथा तीन विभिन्न आचार्यों के द्वारा तीन विभिन्न प्रसंगों में कथन की गयी थी । इसी कथा का आद्य प्रवक्ता व्यास था, जिसने अपना ‘जय’ नामक ग्रंथ अपने शिष्य वैशंपायन को कथन किया । उसी ग्रंथ को काफ़ी परिवर्धित कर ‘भारत’ नाम से वैशंपायन ने उसे जनमेजय राजा को कथन किया था । आगे चल कर सौति ने इसी ग्रंथ को अनेकानेक आख्यान एवं उपाख्यान जोड़ कर, एवं उसमें ‘हरिवंश’ नामक एक स्वतंत्र परिशिष्टात्मक ग्रंथ की रचना कर, उसे शौनकादि आचार्यों को कथन किया । सौति का यही ग्रंथ ‘महाभारत’ नाम से प्रसिद्ध हुआ, एवं ‘महाभारत’ का आज उपलब्ध संस्करण सौति के द्वारा विरचित ही है । इसी कारण, उपलब्ध महाभारत संस्करण के प्रवर्तक आचार्य यद्यपि व्यास एवं वैशंपायन है, उसका रचयिता सौति है । सौति के द्वारा विरचित महाभारत के उपलब्ध संस्करण काल २०० इ. पू. माना जाता है ।
सौति (रोमहर्षणसुत) n.  भारत एवं महाभारत के कथन के समय, वैशंपायन एवं जनमेजय; तथा सौति एवं शौनक के दरम्यान जो प्रश्र्नोत्तर हुए, एवं तत्त्वज्ञान पर जो संवाद हुए, इसके कारण ही यह महाभारत ग्रंथ प्रतिदिन बढता ही रहा, यहाँ तक कि, महाभारत के उपलब्ध संस्करण में लगभग एक लाख श्र्लोक संख्या है ।
सौति (रोमहर्षणसुत) n.  जनमेजय के सर्पसत्र में वैशंपायनप्रोक्त ‘भारत’ ग्रंथ इसने सुना था । पश्चात् शौनक ऋषि के द्वारा नैमिषारण्य में द्वादशवर्षीय सत्र नामक एक यज्ञ का आयोजन किया गया । वहाँ शौनक ऋषि के द्वारा प्रार्थना किये जाने पर इसने ‘महाभारत’ का कथन किया [म. आ. १.५, ४]
सौति (रोमहर्षणसुत) n.  इस ग्रंथ का प्रारंभ कौन से श्र्लोक से होता है इस संबंध में विद्वानों में एकवाक्यता नहीं है । कई अभ्यासकों के अनुसार, महाभारत का आरंभ ‘नारायणं समस्कृत्य’ श्र्लोक से होता है [म. आ. १.१] । किन्तु अन्य कई अभ्यासक इस ग्रंथ का प्रारंभ ‘आस्तिक पर्व’ से [म. आ. १३] , एवं अन्य कई अभ्यासक उसे उपरिचर वसु की कथा से [म. आ. ५७] मानते है ।
सौति (रोमहर्षणसुत) n.  इस ग्रंथ के मुंबई, कलकत्ता एवं मद्रास (कुंभकोणम्) ये तीन पाठ प्रकाशित हो चुके है । इस ग्रंथ का एक काश्मीरी पाठ भी उपलब्ध है । उपर्युक्त सारे पाठों को एकत्रित कर, एवं अनेकानेक प्राचीन पाण्डुलिपियों का संशोधन कर, इस ग्रंथ का प्रमाणभूत एवं चिकित्सक संस्करण पूना के भांडारकर प्राच्यविद्या संशोधन मंदिर के द्वारा प्रकाशित किया गया है । इस संस्करण के सारे खंड प्रकाशित हुए है, केवल हरिवंश ही बाकी है ।
सौति (रोमहर्षणसुत) n.  इस ग्रंथ को महाभारत का खिल (परिशिष्ट) पर्व कहा जाता है, एवं इसकी रचना एकमात्र सौति के द्वारा ही हुई है । व्यास एवं वैशंपायन के द्वारा विरचित ‘महाभारत’ में भारतीय युद्ध का सारा इतिहास संग्रहित हुआ, किन्तु यादववंश में पैदा हुए कृष्ण की एवं उसके वंशजों की जानकारी वहाँ कही भी नही है । इस त्रुटि की पूर्ति करने के लिए सौति ने ‘हरिवंश’ की रचना की, जिसका कथन ‘महाभारत’ के ‘स्वर्गारोहणपर्व’ के पश्चात् सौति के द्वारा किया गया ।

सौति     

A Sanskrit English Dictionary | Sanskrit  English
सौति  m. m.patr. of कर्ण (so called from having been brought up by the सूतअधि-रथ; See कर्ण), [MBh.]

सौति     

सौतिः [sautiḥ]   1 An epithet of Karṇa.
 N. N. of a great sage; [Mb.1.6.1.]

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