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शाकपूणि

   { śākapūṇiḥ }
Script: Devanagari

शाकपूणि     

शाकपूणि n.  एक व्याकरणाचार्य, जिसके व्याकरणविषयक अनेकानेक मतों का निर्देश यास्क के ‘निरुक्त’ में प्राप्त है [नि. ३.११, ६.१४, ८.५, १२.१९, १३.१०-११]
शाकपूणि n.  ऋग्वेद के मंत्रों के अर्थों का ज्ञान शाकपूणि को किस प्रकार प्राप्त हुआ, इस संबंध में एक कथा यास्क के निरुक्त में प्राप्त है । एक बार शाकपूणि को वैदिक देवता के संबंध में ज्ञान प्राप्त करने की इच्छा हुई। इसका यह मनोगत जान कर वैदिक देवता इसके सम्मुख उपस्थित हुए, एवं उन्होंनें इसे ऋग्वेद की ऋचा [ऋ. १.१६४.२९] , एवं उसका अर्थ कथन किया । इसीसे आगे चल कर शाकपूणि ऋग्वेद का मंत्रार्थद्रष्टा आचार्य बन गया [नि. २.८]
शाकपूणि (रथंतर) n.  एक आचार्य, जो विष्णु के अनुसार, व्यास की ऋक्शिष्यपरंपरा में से इंद्रप्रमति नामक आचार्य का शिष्य था । वायु में इसे ‘रथीतर’ अथवा ‘रथांतर’, तथा ब्रह्मांड में इसे ‘रथीतर’ कहा गया है ।

शाकपूणि     

A Sanskrit English Dictionary | Sanskrit  English
शाकपूणि  m. m. (w.r.शाकपूर्णि; fr.शकपूणि) patr. of an ancient grammarian, [Nir.] (cf.[IW. 159] ).

शाकपूणि     

शाकपूणिः [śākapūṇiḥ] र्णिः [rṇiḥ]   र्णिः N. of an ancient expounder of the Vedas.

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