शक्तिपीठ n. उत्तरकालीन पौराणिक साहित्य में, एवं शाक्त उपासना के ‘शिवविजय’, ‘दाक्षायणीतंत्र’, ‘योगिनीतंत्र’ ‘तंत्रचूड़ामणि’ आदि तांत्रिक ग्रंथों में ‘शक्तिपीठों’ की विस्तृत जानकारी प्राप्त है, जहाँ सर्वत्र इन पीठों की संख्या प्रायः सर्वत्र इक्कावन बतायी गयी है । इनमें से ‘तंत्रचूड़ामणि’ में प्राप्त ५२ ‘शक्तिपीठों’ की, वहाँ स्थित ‘शक्ति’ की, एवं वहाँ गिरे हुए हुए सती के अंग या आभूषणों की नामावलि नीचे इसे क्रम से दी गयी हैः--१. अट्टहास (फुल्लरा, अधरोष्ठ); २. उज्जयिनी (मांगल्यचंडिका, कूर्पर); ३. करतोयातट (अपर्णा, वामतल्प); ४. कन्याकाश्रम (शर्वाणी, पृष्ठ); ५. करवीर (महिषमर्दिनी, तीनों नेत्र); ६. कर्णाट (जयदुर्गा, दोनों कर्ण); ७. कश्मीर (महामाया, कंठ); ८. कांची (देवगर्भा, अस्थि); ९. कालमाधव (काली, वामनितंब); १०. कामगिरि (कामाख्या, योनि); ११. कालीपीठ (कालिका, पादांगुलि); १२. कुरुक्षेत्र (सावित्री, दक्षिणगुल्फ); १३. गण्डकी (गण्डकी, दक्षिण गण्ड); १४. किरीट (विमला, किरीट); १५. गोदावरीतट (विश्र्वेशी, वामगण्ड); १६. चहल (भवानी दक्षिणाबाहु); १७. जनस्थान (भ्रामरी, चिबुक); १८. जयन्ती (जयन्ती, वामजंघ); १९. जालंधर (त्रिपुरामालिनी, वामस्तन); २०. ज्वालामुखी (सिद्धिदा, जिव्हा); २१. त्रिपुरी (त्रिपुरसुंदरी, दक्षिणपाद); २२. त्रिस्रोता (भ्रामरी, वामपाद); २३. नलहारी (कालिका, उदरनलिका); २४. नन्दिपुर (नंदिनी, कंठहार); २५. नैपाल (महामाया, जानु); २६. पंचसागर (वाराही, अधोदंतपंक्ति); २७. प्रभास (चन्द्रभागा, उदर); २८. प्रयाग (ललिता, हस्तांगुलि); २९. भैरवपर्वत (अवन्ती, ऊर्ध्वओष्ठ); ३०. मगध (सर्वानंदकरी, दक्षिणजंघ); ३१. मणिवेदिका (गायत्री, मणिबंध); ३२. मानस (दाक्षायणी, दक्षिणपाणि); ३३. मिथिला (उमा, वामस्कंध); ३४. युगाद्या (भूतधात्री, दक्षिणपदांगुष्ठ); ३५. यशोर (यशोरश्र्वरी, वामपाणि); ३६. रामगिरि (शिवानी, दक्षिणस्तन); ३७. रत्नावली (कुमारी, दक्षिणस्कंध); ३८. बहुला (बहुला, वामबाहु); ३९. लंका (इंद्राक्षी, नूपुर); ४०. वक्त्रेश्र्वर (महिषमार्दिनी, मन); ४१. वाराणसी (विशालाक्षी, कर्णकुंडल); ४२. वैद्यनाथ (जयदुर्गा, हृदय); ४३. विभाष (कपालिनी, वामगुल्फ); ४४. विराट (अंबिका, वामपदांगुष्ठ); ४५. विरजाक्षेत्र (विमला, नाभि); ४६. वृंदावन (उमा, केशकलाप); ४७. श्रीपर्वत (श्रीसुंदरी, दक्षिणतल्प), ४८. श्रीशैल (महालक्ष्मी, ग्रीवा); ४९. शुचि (नारायणी, ऊर्ध्वदंतपंक्ति); ५०. शोण (शोणाक्षी, दक्षिणनितंब); ५१. सुगंधा (सुनंदा, नासिका); ५२. हिंगुला (कोटरी, ब्रह्मरंध्र) ।
शक्तिपीठ II. n. एक आचार्य, जिसने अपने शिष्य दम को ‘सामवेद’ सिखाया था
[मार्क. १३०] ।
शक्तिपीठ III. n. ढुंढि नामक शिवावतार का पिता (दुरासद देखिये) ।