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वृषादर्भि

   { vṛṣādarbhi }
Script: Devanagari

वृषादर्भि     

Puranic Encyclopaedia  | English  English
A famous son of Śibi. The following is a story given in [Mahābhārata] about this Vṛṣādarbhi. Once the seven hermits started for going round the earth. At this time Vṛṣādarbhi had been performing a sacrifice. Vṛṣādarbhi invoked the seven hermits and gave them his son as a gift. The child died before long. As famine was prevailing everywhere the hermits were weak and worn out by hunger. They wished to eat the flesh of the child. Vṛṣādarbhi tried to dissuade the hermits from this beastly action in vain. At last the angry King created a wicked fairy to kill the hermits. Though the fairy attacked the hermits, Indra, who had lived with the seven hermits killed the fairy. Vṛṣādarbhi was not at all behind his father Śibi in liberality. There are various stories in Mahābhārata to illustrate this.
VṚṢĀDARBHI I   A King of Kāśī. Vṛṣādarbhi who was the son of Vṛṣadarbha, was known by the name Yuvanāśva also. He gave as alms, various kinds of jewels, women, beautiful houses etc. and entered heaven. [M.B. Śānti Parva, Chapter 234, Stanza 24] .

वृषादर्भि     

वृषादर्भि (शैब्य) n.  (सो. अनु.) शिबि (वृषदर्भ) राजा का पुत्र, जिसे महाभारत में काशि देश का राजा कहा गया है [म. अनु. ९३.२७-२९, १३७.१०] । भागवत, मत्स्य एवं वायु में इसे क्रमशः ‘वृषादर्भ’ ‘पृथुदर्भ’ एवं ‘वृषदर्भ’ कहा गया है । विष्णु में इसके नाम की निरुक्ति वृष + दर्भ दी गयी है । महाभारत में इसके ‘वृषदर्भ’ [म. अनु. ३२.४] , एवं वृषादर्वि [म. शां. २२६.२५] नामान्तर प्राप्त है । भांडारकरसंहिता में ‘वृषादर्भ’ पाठ स्वीकृत किया गया है ।
वृषादर्भि (शैब्य) n.  इसने सप्तर्षियों से किये संघर्ष की कथा महाभारत में प्राप्त है । एक बार सप्तर्षि पृथ्वी की प्रदक्षिणा कर रहे थे, जिस समय इसने एक यज्ञ कर अपना पुत्र उन्हें दक्षिणा के रूप में प्रदान किया। आगे चल कर, अल्पायुत्व के कारण इसका पुत्र मृत हुआ, जिसे अकाल के कारण भूखे हुए सप्तर्षियों ने भक्षण करना चाहा। इसने सप्तर्षियों को इस पाशवी कृत्य से रोंकना चाहा, किन्तु सप्तर्षियों ने इसकी एक न सुनी। अपने पुत्र के मृत देह की पुनःप्राप्ति के लिए, इसने सप्तर्षियों को अनेकानेक प्रकार के दान देने का आश्र्वासन दिया, किन्तु कुछ फायदा न हुआ। अन्त में अत्याधिक क्रुद्ध हो कर इसने सप्तर्षियों का वध करने के लिए एक कृत्या का निर्माण किया। उस कृत्या का सही नाम यद्यपि ‘यातुधानी’ था, फिर भी इसने उसे ‘मनसा’ नाम धारण कर सप्तर्षियों पर आक्रमण करने के लिए कहा। इसकी आज्ञा से उस कृत्या ने सप्तर्षियों पर आक्रमण किया, किन्तु सप्तर्षियों के साथ रहनेवाले शुनःसख (इंद्र) ने उसका वध किया [म. अनु. २३]
वृषादर्भि (शैब्य) n.  इसकी दानशूरता की विभिन्न कथाएँ महाभारत में प्राप्त है । इसने ब्राह्मणों को अनेकानेक रत्न एवं गृह दान में प्रदान किये थे [म. शां. २१६.२५] ;[अनु. १३७.१०] । अपने पिता शिबि राजा के समान, इसने भी एक कपोत पक्षी का रक्षण करने के लिए अपने शरीर के मांसखंड श्येनपक्षी को खिलाये थे [म. अनु. ३२.३९]

वृषादर्भि     

A Sanskrit English Dictionary | Sanskrit  English
वृषा—दर्भि  m. ([MBh.] ) m.N. of a son of शिबि (cf.वृष-द्°).
ROOTS:
वृषा दर्भि

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