विरजा II. n. सुस्वधा नामक ‘आज्यप’ पितरों की कन्या, जो नहुष की पत्नी, एवं ययाति की माता थी
[मत्स्य. १५.२३] ।
विरजा III. n. एक राक्षसी, जिसने अदितिपुत्र महोत्कट का वेष धारण किये हुए श्रीगणेश को भक्षण किया। महोत्कटरूपी श्रीगणेश इसका उदर विदिर्ण कर बाहर आया। अन्त में उसीके ही स्पर्श से इसे मुक्ति प्राप्त हुई।
विरजा IV. n. कृष्ण की एक प्रिय पत्नी, जो राधा की सौत थी । सवती-मत्सर के कारण राधा ने इसे नदी बनने का शाप दिया, जिस कारण, यह विरजा नामक नदी बन गयी। क्षार-समुद्रादि अष्टसमुद्र इसीके ही पुत्र माने जाते हैं
[ब्रह्मवै. ४.२] ।