याज n. कश्यपकुलोत्पन्न एक ऋषि, जो यमुना नदी के तट पर निवास करता था । द्रोण का विनाश करनेवाला पुत्र उत्पन्न करने के लिए द्रुपद राजा ने इससे, एवं इसके भाई उपयाज से एक यज्ञ कराया था ।यह वेदाभ्यासक एवं सूर्यभक्त ऋषि था । किन्तु प्रारंभ से ही, यह अत्यंत हीन मनोवृत्ति का एवं लोभी था
[म.आ.१५५.१४-२१] । पंचाल देश का द्रुपद राजा एक ऐसे पुत्र की कामना मन में रखता था, जो उसके शत्रु द्रोणाचार्य का वध करे । इसने एवं इसने भाई उपयाज ने एक अर्बुद धेनुओं के बदले में द्रुपद राजा के पुत्रकामेष्टी यज्ञ का काम स्वीकार लिया
[म.आ.१६७.२१] । यज्ञ समाप्त होने पर, यज्ञ में सिद्ध किया गया ‘चरु’ भक्षण करने के लिए, इसने द्रुपदपत्नी सौत्रमणि को बुलाया । उसे आने में विलंब होते ही, इस तामसी ऋषि ने वह चरु अग्नि में झोंक दिया, द्रुपदपुत्र धृष्टद्युम्न उत्पन्न हुआ (द्रुपद देखिये) ।पंचाल देश में राज्य करनेवाला पुरुयशस् राजा भी याज एवं उपयाज ऋषियों का ही शिष्य था
[स्कंद.२.७.१५-१६] ; पुरुयशस् देखिये ।