पुलिन्द n. (शृंग. भविष्य.) एक शुंगवंशीय राजा । भागवत के अनुसार यह भद्रक का, ब्रह्मांड के अनुसार भद्र का, वायु के अनुसार ध्रुव का, एवं मत्स्य के अनुसार अन्तक का पुत्र था । विष्णु में इसे ‘आर्द्रकपुत्र पुलिंदक’ कहा गया है ।
पुलिन्द II. n. किरातों का एक राजा, जो युधिष्ठिर की सभा में उपस्थित था
[म.स.४.४७] ।
पुलिन्द III. n. पुलिंद देश के निवासियों के लिए प्रयुक्त सामूहिक नाम । ये पहले क्षत्रिय थे, किंतु ब्राह्मणों के शाप के कारण शूद्र बन गये
[म.अनु.३३.२२.-२३] । ये म्लेच्छ जातियों में थे, जो कलियुग में पृथ्वी के शासक बने
[म.व.१८६.३०] । वसिष्ठ ऋषि की गौ नन्दिनी के कुषित होने पर, उसके मुख से निकले फेन से ये उत्पन्न हुये थे
[म.आ.१६५.३६] । भीम ने इन लोगों पर हमला किया, एवं इनके महानगर को ध्वस्त कर, इनके राजा सुकुमार एवं सुमित्र को जीत लिया
[म.स.२६.१०] । सहदेव ने भी इन्हीं दोनों राजाओं पर विजय प्राप्त की थी
[म.स.२८.४] । भारतीय युद्ध में, ये लोग दुर्योधन की सेना में सम्मिलित थे
[म.उ.१५८.२०] । पांडय-नरेश के साथ इनका युद्ध हुआ था एवं उसके बाणों द्वार ये आहत हुये थे
[म.क.१५.१०] ।