शबर n. एक म्लेंच्छ जातिविशेष, जो दक्षिणापथ प्रदेश के निवासी थे । वायु में इन्हें ‘दक्षिणपथवासिनः’ कहा गया है, एवं इनका निर्देश आभीर, आटव्य, पुलिंद, वैदर्भ, दण्डक आदि लोगों के साथ प्राप्त है
[वायु. ४५.१२६] ।
शबर n. ऐतरेय ब्राह्मण में, विश्वामित्र ऋषि के ज्येष्ठ पचास पुत्र उसीके ही शाप से आंध्र, पुण्ड्र, शबर, पुलिंद एवं मूतिब आदि म्लेंच्छ बनने का निर्देश प्राप्त है
[ऐ. ब्रा. ७.१८.२] ;
[सां. श्रौ. १५.२६.६] । ये लोग दक्षिण भारत में पेन्नार नदी के प्रदेश में रहते थे । रामायण में प्राप्त शबरी की कथा भी यही संकेत को पुष्टि प्रदान करती है । किन्तु इन लोगों की अन्य कई बस्तियाँ राजपुताना, हिमालय प्रदेश आदि में थी । महाभारत के अनुसार, ये लोग पहले क्षत्रिय थे, किंतु बाद में हीन आचारों के कारण म्लेंच्छ बन गये। भारतीय युद्ध में ये लोग कौरवों के पक्ष में शामिल थे, जहाँ सात्यकि ने इनका संहार किया था
[म. द्रो. ९५.३८] ।
शबर (काक्षीवत) n. एक वैदिक सूक्तद्रष्टा
[क्र. १०.१६९] ।
शबर II. n. कीकट देश में हनेवाला एक शिवभक्त अंत्यज, जो चिताभस्म की प्राप्ति के लिए स्वयं को दग्ध करने के लिए प्रवृत्त हुआ था
[स्कंद. ३.३.१७] ।
शबर III. n. एक विष्णुभक्त अंत्यज, जो तुलसीपत्र के प्रसाद से यमदूतों के पंजे से मुक्त हुआ
[पद्म. पा. २०] ।
शबर IV. n. अमिताभ देवों में से एक ।