पर्शु n. पाणिनि के अनुसार एक आयुधजीवि संघ
[पा.सू.५.३.११७] । ऋग्वेद में इन लोगों का निर्देश पृथु लोगों के साथ ‘पृथु-पर्शव’ नाम से प्राप्त है
[ऋ.७.८३.१] । इन दो लोगों ने सुदास राजाको मदद दी, एवं मिल कर कुरुश्रवण राजा को पराजित किया
[ऋ.१०.३३.२] । लुडविग के अनुसार, आधुनिक मध्य एशिया में रहनेवाले ‘पर्थियन’ एवं पर्शियन लोग ही, संभवतः प्राचीन ‘पृथुपार्शव’ मानवसंघ रहा होगा (लुडविग, ऋग्वेद अनुवाद) । प्राचीन पर्शिया के लोगों के साथ वैदिक आर्यों का घनिष्ठ संबंध था । उस ऐतिहासिक संबंध को पृथु एवं पर्शुओं के निर्देश से पुष्टि मिलती है । भाषाशास्त्रीय दृष्टि से, वैदिक ‘पर्शु’ एवं प्राचीन ईरानी ‘पार्स’ तथा बावेरु भाषा में प्राप्त ‘परसु’ (बहिस्तून शिलालेख ) ये तीन ही शब्दों में काफी साम्यता है । ‘पर्शु’ संघ का हरएक सदस्य ‘पार्शव’ कहलाता था । पाणिनि के समय, ये लोग भारत के दक्षिणपश्चिम के प्रदेश में रहते थे । उत्तर में रहनेवाले ‘पार्थोइ’ लोगों क निर्देश ‘पेरिप्लस’ में प्राप्त है ।
पर्शु (मानवी) n. पर्शु लोगों की एक राजकुमारी
[ऋ.१०.८६.२३] । कात्यायन के अनुसार, यह पशु लोगों में से एक स्त्री का नाम था
[पा.सू.४.१.१७७ वार्तिक २०] इसे कुल बीस पुत्र हुये थे । सायण के अनुसार, यह एक मृगी का नाम था ।
पर्शु II. n. ऋग्वेद के दानस्तुति में निर्दिष्ट एक राजा
[ऋ.८.६.४६] । यह संभवतः ‘पर्शु’ मानवसंघ का राजा रहा होगा । वत्स काण्व ऋषि का प्रतिपालक ‘तिरिंदर पारशव्य’ नामक एक राजा था
[सां.श्रौ.१६.११.२०] । वह संभवतः इसी ‘पर्शु’ राजा क पुत्र होगा ।