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श्राद्ध कर्म परिचय
श्राद्ध कर्म म्हणजेच पितरांना उद्देशून दिलेले अन्नादिक.
Shraadh is a ritual performed every year by a Hindu on the death anniversary of his father or mother
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कर्म विधी
कर्म विधी - Vidhi by Karma
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श्राद्ध कर्म
श्राद्ध कर्म
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कर्म
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निष्काम कर्म
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धर्म कर्म
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सकाम कर्म
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भाग कर्म
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कर्म कारक
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अकाम कर्म
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गनती कर्म
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आसक्तिहीन कर्म
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अधर्म कर्म
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कर्म केरसुणी
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कर्तुः संयोगजं कर्म
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खोटो कर्म
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कर्म ओढवणें
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गुणन कर्म
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विठाचे अभंग - उदमाचा करून झाडा । कर्म क...
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली तसेच त्यांच्या कुटुंबातील मंडळींनी देखील अभंग रचना केलेल्या आहेत.
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संत जनाबाई - भक्त जें जें कर्म करिती ।...
जनाबाई, दासीपणाची कामे करीत असताना तिच्या मनाने, अभंगांतून आध्यात्मिक प्रगती आणि पारमार्थिक उन्नती केली.
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संत चोखामेळा - भेदाभेद कर्म नकळे त्याचें...
श्री संत नामदेवकाळातील श्री विठ्ठलाची अपरंपार उपासना करणारे संत चोखोबा एक अस्पृश्य होते.
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कर्म दोन पाऊलें पुढें
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कर्ता, कर्म ओळखणें
व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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नित्य कर्म पूजा - फल कथन
देवी,देवता,पूजा,devi,devata,pooja
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आदिखंड - कर्म धर्म गुण
सत्कार्योत्तेजक सभा धुळें, महाराष्ट्रधर्मग्रन्थमाला
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संत तुकाराम - एक एक कर्म लाउनियां अंगीं...
संत तुकाराम गाथेत समाविष्ट नसलेले अप्रसिद्ध अभंग.
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धर्मसिंधु - नित्य कर्म
हिंदूंचे ऐहिक, धार्मिक, नैतिक अशा विषयात नियंत्रण करावे आणि त्यांना इह-परलोकी सुखाची प्राप्ती व्हावी ह्याच अत्यंत उदात्त हेतूने प्रेरित होउन श्री. काशीनाथशास्त्री उपाध्याय यांनी ’धर्मसिंधु’ हा ग्रंथ रचला आहे.
This 'Dharmasindhu' grantha was written by Pt. Kashinathashastree Upadhyay, in the year 1790-91.
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क्षौर-कर्म और तैलाभ्यन्ग-विधि
प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे.
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सहजोबाईजी - कर्म और कर्मफल
सहजोबाई का संबंध चरणदासी संप्रदाय से है ।
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नित्यकर्म - कर्म ४
भगवान शिव ने लंकापती रावण को जो तंत्रज्ञान दिया , उसमेंसे ये साधनाएं शीघ्र सिद्धि प्रदान करने वाली है ।
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निश्काम कर्म
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देवधर्म
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पाप कर्म
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फलाकांक्षा कर्म
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देव-कर्म
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धार्मिक कर्म
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दूत-कर्म
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वैश्य-कर्म
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दूतता॒ कर्म
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भगवत्-कर्म
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द्वितीय कर्म
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विधीः - समर्पण
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - दीपमालिका ( दीपक ) पूजनम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - नित्य होम विधि:
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - बलिवैश्वदेव विधि:
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - संक्षिप्त नान्दी श्राद्ध
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - आचार्यादि ऋत्विग्वरणम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - संकल्पम् तथा दिग्रक्षणम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - शिवपूजनम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - ब्रह्मयज्ञ विधि:
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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