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द्वितीय परिच्छेद - ऋषिपंचमी
निर्णयसिंधु ग्रंथामध्ये कोणत्या कर्माचा कोणता काल , याचा मुख्यत्वेकरून निर्णय केलेला आहे .
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भाद्रपद शु. पंचमी
Bhadrapada shudha Panchami
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धर्मसिंधु - ऋषिपंचमी व्रत
हिंदूंचे ऐहिक, धार्मिक, नैतिक अशा विषयात नियंत्रण करावे आणि त्यांना इह-परलोकी सुखाची प्राप्ती व्हावी ह्याच अत्यंत उदात्त हेतूने प्रेरित होउन श्री. काशीनाथशास्त्री उपाध्याय यांनी ’धर्मसिंधु’ हा ग्रंथ रचला आहे. This 'Dharmasindhu' grantha was written by Pt. Kashinathashastree Upadhyay, in the year 1790-91.
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ऋषिपंचमी
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कहाणी ऋषिपंचमीची
हिंदू धर्मातील पुराणे अतिप्राचीन असून त्यातील कहाण्या उच्च संस्कृतीच्या प्रतिक आहेत.
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ریٖشی پَنٛچمی
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ऋषि पंचमी
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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ऋषि पञ्चमी
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ঋষিপঞ্চমী
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ଋଷି ପଞ୍ଚମୀ
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ઋષિપંચમી
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रुशी पंचमी
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ಋಷಿ ಪಂಚಮಿ
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ഋഷിപഞ്ചമി
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पाटवणी
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भाद्रपद शुद्ध ५
दिन विशेष - वर्षातील प्रत्येक दिवसाचे ऐतिहासीक महत्व.
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एकनाथी भागवत - श्लोक १ ला व २ रा
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
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देवशर्मन
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उत्तरखण्डः - अध्यायः ७७
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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संकेत कोश - संख्या ५
हिंदू धर्मात असे अनेक संकेत आहेत ,जे आपल्या जीवनात मोलाचे कार्य बजावतात .
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ग्रामगीता - अध्याय तेविसावा
जनसेवा हीच ईशसेवा मानणारे तुकडोजी महाराज हे समाजसुधारक संत होते.
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द्वितीय परिच्छेद - अष्टमीचे भेद
निर्णयसिंधु ग्रंथामध्ये कोणत्या कर्माचा कोणता काल , याचा मुख्यत्वेकरून निर्णय केलेला आहे .
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कथाकल्पतरू - स्तबक ६ - अध्याय २०
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
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संत गजानन महाराज शेगावीचा योगीराणा
दत्त संप्रदायाचे प्रवर्तक श्रीचक्रधर यांची परंपरा दत्तात्रेय-चांगदेव राऊळ-गुंडम राऊळ-चक्रधर अशी आहे.
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Meanings: 551; in Dictionaries: 4
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