आषाढ़ शुक्लपक्ष व्रत - व्यासपूजा पूर्णिमा

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


व्यासपूजा पूर्णिमा

( अर्चनविधि ) -

आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमाको प्रातःस्त्रानादि नित्य - कर्म करके ब्राह्मणोंसहित ' गुरुपरम्परासिद्धयर्थं व्यासपूजां करिष्ये ।' से संकल्प करके श्रीपर्णीवृक्षकी चौकीपर तत्सम धौतवस्त्र फैलाकर उसपर प्रागपर ( पूर्वसे पश्चिम ) और उदगपर ( उत्तरसे दक्षिण ) को गन्धादिसे अक्षत छोड़कर दिग् - बन्धन करे । फिर ब्रह्म, ब्रह्मा, परापरशक्ति, व्यास, शुकदेव, गौडपाद, गोविन्दस्वामी और शंकराचार्यका नाममन्त्रसे आवाहनादि पूजन करके अपने दीक्षागुरु ( तथा पिता, पितामह, भ्राता आदि ) का देवतुल्य पूजन करे । विशेष विस्तृत विधान शंकराचार्यविरचित ' व्यासपुजाविधि ' में देखना चाहिये ।

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Last Updated : January 16, 2012

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