हिंदी सूची|व्रत|मासिक व्रत परिचय|आषाढ़के व्रत|आषाढ़ शुक्लपक्ष व्रत| कोकिलाव्रत आषाढ़ शुक्लपक्ष व्रत रथयात्रा स्कन्दषष्ठीव्रत विवस्वान्व्रत महिषघ्रीव्रत ऐन्द्रीपूजन शुक्लैकादशीव्रत स्वापमहोत्सव वामनपूजा प्रदोषव्रत हरिपूजा कोकिलाव्रत अम्बिकाव्रत विश्वेदेवपूजन शिवशयनव्रत वायुधारिणी पूर्णिमा व्यासपूजा पूर्णिमा आषाढ़ शुक्लपक्ष व्रत - कोकिलाव्रत व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है । Tags : ashadhafestivalmonthvratआषाढमहिनाव्रतसण कोकिलाव्रत Translation - भाषांतर कोकिलाव्रत ( हेमाद्री ) - यह व्रत आषाढ़ी पूर्णिमासे प्रारम्भ करके श्रावणी पूर्णिमातक किया जाता है । इसके करनेसे मुख्यतः स्त्रियोंको सात जन्मतक सुत, सौभाग्य और सम्पत्ति मिलती है । विधान यह है - आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमाके सायंकाल स्त्रान करके कल्पना करे कि ' मैं ब्रह्मचर्यसे रहकर कोकिलाव्रत करूँगी । उसके बाद श्रावण कृष्ण प्रतिपदाको किसी नद, नदी, झरने, बावली, कुएँ या तालाब आदिपर ' मम धनधान्यादिसहितसौभाग्यप्राप्तये शिवतुष्टये च कोकिलाव्रतमहं करिष्ये ।' यह संकल्प करके आरम्भके आठ दिनमें भीगे और पिसे हुए आँवलोंमें सुगन्धयुक्त तिलतैल मिलाकर उसे मलकर स्त्रान करे । फिर आठ दिनतक भिगोकर पिसी हुई मुरामांसी और वच - कुष्टादि दस ओषधियोंसे स्त्रान करे ( दशौषधि पूर्वाङ्गमें देखिये ) । उसके बाद आठ दिनतक भिगोकर पिसी हुई बचके जलसे स्त्रान करे और उसके बाद अन्तके छः दिनतक पिसे हुए तिल आँवले और सर्वोषधिके जलसे स्त्रान करे । इस क्रमसे प्रतिदिन स्त्रान करके, पीठेके द्वारा निर्माण की हुई कोयलका पूजन करे । चन्द्न, सुगन्धित पुष्प, धूप, दीप और तिल - तन्दुलादिका नैवेद्य अर्पण करे और ' तिलस्नेहे ०१' प्रार्थना करे । इस प्रकार श्रावणी पूर्णिमापर्यन्त करके समाप्तिके दिन ताँबेके, पात्रमें मिट्टीसे बनायी हुई कोकिलाके सुवर्णके पंख और रत्नोंके नेत्र लगाकर वस्त्राभूषणादिसे भूषित करके सास, ससुर, ज्योतिषी, पुरोहित अथवा कथावाचकके भेंट करनेसे स्त्री इस जन्ममें प्रीतिपूर्वक पोषण करनेवाले सुखरुप पतिके साथ सुख - सौभाग्यादि भोगकर अन्तमें गौरी ( पार्वती ) की पुरीमें जाती है । इस व्रतमें गौरीका कोकिलाके रुपमें पूजन किया जाता है । तिलस्नेहे तिलसौख्ये तिलवर्णे तिलामये । सौभाग्यधनपुत्रांश्च देहि मे कोकिले नमः ॥ ( भविष्योत्तर ) N/A References : N/A Last Updated : January 16, 2012 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP