प्रदोषव्रत
( हेमाद्रि ) -
पूर्वोक्त प्रकारसे सूर्यास्तके समय स्त्रान करके प्रदोष - समयमें शिवजीका पूजन करके सूर्यास्तके बाद एक बार भोजन करे । प्रदोष - समयमें शिवजीके समीप ' यक्ष, गन्धर्व १, पतग ( पक्षी ), उरग, सिद्ध, साध्य, विद्याधर, देव, अप्सरा और भूतगण' उपस्थित रहते हैं, अतः उस समयके शिवपूजनसे सारे मनोरथोंकी सिद्धि होती है । यह व्रत आषाढ़ शुक्ल त्रयोदशीको होता है ।
गन्धर्वयक्षपतगोरगसिद्धसाध्य -
विद्याधरामवराप्सरसां गणाश्च ।
येऽन्ये त्रिलोकनिलयाः सहभूतवर्गाः
प्राप्ते प्रदोषसमये हरपार्श्वसंस्थाः ॥
तस्मात्प्रदोषे शिव एक एव पूज्यः ( स्कन्दपुराण ब्रह्मोत्तरखण्ड )