महिषघ्रीव्रत
( देवीभागवत ) -
इस निमित्त आषाढ़ शुक्ल अष्टमीको उपवास करके हरिद्राके जलसे स्त्रान करे, वैसे ही जलसे महिषघ्री देवीको स्त्रान करावे और केसर, चन्दन, धूप, कपूर आदिसे पूजन करे । नैवेद्यमें घी, चीनी और जौके संयोगसे बनाया हुआ पदार्थ अर्पण करे । ब्राह्मण और ब्राह्मणकुमारियोंको भोजन करावे, फिर स्वयं भोजन करे । इसके प्रभावसे सब प्रकारकी इष्ट - सिद्धि होती है ।