वैशाखी अष्टमी ( निर्णयामृत ) -
इसके निमित्त वैशाख शुक्ल अष्टमीको आमके रससे स्त्रान करके अपराजिता देवीको उशीर और जटामासीके जलसे स्त्रान करावे । फिर पञ्चगन्ध ( जायफल, पूगफल, कपूर, कंकोल और लौंग ) का लेपन करे और गन्ध - पुष्पादिसे पूजन करके घी, शक्कर तथा स्वीरका भोग लगावे । स्वयं उपवास करे और दूसरे दिन नवमीको ब्राह्मण - भोजन कराकर भोजन करे तो समस्त तीर्थोंमें स्त्रान करनेके समान फल होता है ।
कङ्कोलपूगकर्पूरं जातीफललवङ्गके ।
सुगन्धपञ्चकं प्रोक्तमायुर्वेदप्रकाशके ॥ ( देवीपुराणे )