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कोई दुख जानै नहिं अपनो , ...

भजन - कोई दुख जानै नहिं अपनो , ...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


कोई दुख जानै नहिं अपनो, निज सुख होय गयो सपनौ ।

मन हरि लीन्हों नैन-सैनसों, बिरह-ताप तन तपनौ ॥

मिलि बिछुरी जोगिनि बनि डोलूँ, रूप ध्यान गुन जपनौ ।

जुगलप्रिया जग जीवन धिक अस, काल ब्याल भय कँपनौ ॥

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Last Updated : December 25, 2007

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