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ब्रजमंडल अमरत बरसै री । ...

भजन - ब्रजमंडल अमरत बरसै री । ...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


ब्रजमंडल अमरत बरसै री ।

जसुदा नंद गोप गोपिनको, सुख सुहाग उमगै सरसै री ॥

बाढ़ी लहर अंग-अंगनमें. जमुना तीर नीर उछरै री ।

बरसत कुसुम देव अंबर तें सुरतिय दरसन हित तरसै री ॥

कदली बंदनवार बँधावैं, तोरन धुज सँथिया दरसै री ।

हरद दूब दधि रोचन साजें, मंगल कलस देखि हरसै री ॥

नाचैं गावैं रंग बढ़ावैं जो जाके मनमें भावै री ।

सुभ सहनाई बजत रात दिन, चहुँ दिसि आनँदघन छावै री ॥

ढाढ़ी ढाढ़िन नाचि रिझावै, जो चाहैगो सो पावै री ।

पलना ललना झूल रहे हैं, जसुदा मंगल गुन गावै री ॥

करै निछावर तन मन सरबस, जो नँदनंदनको जोवै री ।

जुगलप्रिया यह नंद महोत्सव, दिन प्रति वा ब्रजमें होवै री ॥

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Last Updated : December 25, 2007

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