भजन - साधो निंदक मित्र हमारा । ...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


साधो निंदक मित्र हमारा ।

निंदककों निकटे ही राखो, होन न देउँ नियारा ॥

पाछे निंदा करि अघ धोवै, सुनि मन मिटै बिकारा ।

जैसे सोना तापि अगिनमें, निरमल करै सोनार ॥

घन अहरन कसि हीरा निबटै, कीमत लच्छ हजारा ।

ऐसे जाँचत दुष्ट संतकूँ, करन जगत उँजियारा ॥

जोग-जग्य-जप पाप कटन हितु करै सकल संसारा ।

बिन करनी मम करम कठिन सब, मेटै निंदक प्यारा ॥

सुखी रहो निंदक जग माहीं रोग न हो तन सारा ।

हमरी निंदा करनेवाला, उतरै भवनिधि पारा ॥

निंदकके चरनोंकी अस्तुति, भाखौं बारंबारा ।

चरनदास कहैं सुनियो साधो, निंदक साधक भारा ॥

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Last Updated : December 20, 2007

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