भजन - तरसौ मेरे नैन हेली , राम ...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


तरसौ मेरे नैन हेली, राम मिलन कब होयेगा ॥टेक॥

पिय दरसन बिन क्यों जिऊँ री हेली कैसे पाऊँ चैन ।

तीर्थ बर्त बहुतै किये री चित दै सुने पुरान ॥१॥

बाट निहारत ही रहूँ री हेली, सुधि नहिं लीनी आय ।

यह जोबन यों ही चलौ री चालौ जनम सिराय ॥२॥

बिरहा दल साजे रहे री हेली, छिन-छिनमें दुख देहि ।

मन लालनके बस परौ, भई भाक-सी देहि ॥३॥

गुरु सुकदेव कृपा करौ जी हेली, दीजै बिरह छुटाय ।

चरनदास पियसू मिले सरन तुम्हारी धाय ॥४॥

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Last Updated : December 20, 2007

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