हिंदी सूची|पूजा एवं विधी|नित्य कर्म पूजा|संध्या-प्रकरण|संध्याका समय| सूर्यार्घ्य-विधि संध्याका समय संध्याका समय संध्याकी आवश्यकता संध्या न करनेसे दोष संध्या कालकी व्याख्या संध्यास्तुति संध्याके लिये पात्र आदि संध्योपासन-विधि मार्जन-विनीयोग-मन्त्र संध्याका संकल्प प्राणायामका विनियोग मस्तकपर जल छिडकनेके विनियोग और मन्त्र अघमर्षण और आचमनके विनियोग और मन्त्र सूर्यार्घ्य-विधि सूर्योपस्थानके मन्त्र सूर्यार्घ्य-विधि प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे. Tags : devatadevipoojaदेवतादेवीपूजा सूर्यार्घ्य-विधि Translation - भाषांतर सूर्यार्घ्य-विधि- इसके बाद निम्नलिखित विनियोगको पढकर अंजलिसे अँगूठेको अलग हटाकर गायत्री मन्त्रसे सूर्य भगवान्को जलसे अर्घ्य दे। अर्घ्यमें चन्दन और फ़ूल मिला ले । सबेरे और दोपहरको एक एडी उठाये हुए खडे होकर अर्घ्य देना चाहिये। सबेरे कुछ झुककर खडा होवे और दोपहरको सीधे खडा होकर और शामको बैठकर । सबेरे और शामको तीन-तीन अज्जली दे और दोपहरको एक अज्जलि उछाले और शामको धोकर स्वच्छ किये स्थलपर धीरेसे अज्जलि दे। ऐसा नदीतटपर करे । अन्य जगहोंमें पवित्र स्थलपर अर्घ्य दे , जहाँ पैर न लगे। अच्छा है कि बर्तनमें अर्घ्य देकर उसे वृक्षके मूलमें डाल दिया जाय।==सूर्यार्घ्यका विनियोग- सूर्यको अर्घ्य देनेके पूर्व निम्नलिखित विनियोग पढे-(क) ॐकारस्य ब्रम्हा ऋषिर्गायत्री छन्द: परमात्मा देवता अर्घ्यदाने विनियोग:।(ख) ॐ भूर्भुव: स्वरिति महाव्याह्र्तीनां परमेष्ठी प्रजापतिऋषिर्गायत्र्युष्णिगनुष्टुणश्छन्दांस्यग्निवायुसूर्यादेवता: अर्घ्यदाने विनियोग:।(ग)ॐ तत्सवितुरित्यस्य विश्वामित्र ऋषिर्गायत्री छन्द: सविता देवता सूर्यार्घ्यदाने विनियोग:। इस प्रकार विनियोग कर नीचे लिखा मन्त्र पढकर अर्घ्य दे-’ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्।इस मन्त्रको पढकर ’ब्रम्हस्वरुपिणे सूर्यनारायणाय नम:’ कहकर अर्घ्य दे।विशेष- यदि समय (प्रात: सूर्योदयसे तथा सूर्यास्तसे तीन घडी बाद) का अतिक्रमण हो जाय तो प्रायश्चितस्वरुप नीचे लिखे मन्त्रसे एक अर्घ्य पहले देकर तब उक्त अर्घ्य दे-ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्। ॐ भुर्भुव: स्व: ॐ।==उपस्थान-सूर्यके उपस्थानके लिये प्रथम नीचे लिखे विनियोगोंको पढे-क) उव्दयमित्यस्य प्रस्कण्व ऋषिरनुष्टुप् छन्द: सूर्यो देवता सूर्योपस्थाने विनियोग:।ख) उदु त्यमित्यस्य प्रस्कण्व ऋषिर्निचृद्गायत्री छन्द: सूर्यो देवता सूर्योपस्थाने विनियोग:।ग) चित्रमित्यस्य कौत्स ऋषिस्त्रिष्टुप् छन्द: सूर्यो देवता सूर्योपस्थाने विनियोग:।घ)तच्चक्षुरित्यस्य दध्यड्डथर्वण ऋषिरक्षरातीतपुराउष्णिक्छन्द: सूर्यो देवता सूर्योपस्थाने विनियोग:।इसके बाद प्रात: चित्रानुसार खडे होकर तथा दोपहरमें दोनों हाथोंको उठाकर और सायंकाल बैठकर हाथ जोडकर नीचे लिखे मन्त्रोंको पढते हुए सूर्योपस्थान करे। N/A References : N/A Last Updated : November 27, 2018 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP