मार्जन-विनीयोग-मन्त्र

प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे.


मार्जन-विनीयोग-मन्त्र-
ॐ अपवित्र: पवित्रो वेत्यस्य वामदेव ऋषि: , विष्णुर्देवता, गायत्रीच्छन्द: ह्रदि पवित्रकरणे विनियोग:।
इस प्रकार विनियोग पढकर जल छोडे तथा निन्मलिखित मन्त्रसे मार्जन करे (शरीर एवं सामग्रीपर जल छिडके) ।

ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा।
य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्ष स बाह्याभ्यन्तर: शुचि:॥

तदनन्तर आगे लिखा विनियोग पढे-
’ॐ पृथ्वीति मन्त्रस्य मेरुपृष्ठ ऋषि: , सुतलं छन्द: , कूर्मो देवता आसनपवित्रकरणे विनियोग:”

फ़िर नीचे लिखा मन्त्र पढकर आसनपर जल छिडके-

ॐ पृथ्वि ! त्वया धृता लोका देवि ! त्वं विष्णुना धृता।
त्वं च धारय मां देवि ! पवित्रं कुरु चासनम्।

N/A

References : N/A
Last Updated : November 26, 2018

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP