प्राणायामका विनियोग
प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे.
प्राणायामका विनियोग-
प्राणायाम करनेके पूर्व उसका विनियोग इस प्रकार पढे-
ॐकारस्य ब्रह्मा ऋषीर्दैवी गायत्री छन्दः अग्निः परमात्मा देवता शुक्लो वर्णः सर्वकर्मारम्भे विनियोगः ।
ॐ सत्पव्याह्र्तीनां विश्वामित्रजमदग्निभरव्दाजगौतमात्रिवसिष्ठकश्यपा ऋषयो गायत्र्युष्णिगनुष्टुब्बृहतीपडिक्तत्रिष्टुब्जगत्यश्छन्दांस्यनवाय्वादित्यबृहस्पतिवरुणेन्द्रविष्णवो देवता अनादिष्टप्रायश्चित्ते प्राणायामे विनियोग:।
ॐ तत्सवितुरिति विश्वामित्रऋषीर्गायत्री छ्न्द: सविता देवता प्राणायामे विनियोग:।
ॐ आपो ज्योतिरिति शिरस: प्रजापतिऋषिर्यजुश्छ्न्दो ब्रह्याग्निवायुसूर्या देवता: प्राणायामे विनियोग:।
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प्राणायामके मन्त्र-
फिर आँखे बंद कर नीचे लिखे मन्त्रोका प्रत्येक प्राणायाममें तीन-तीन बार (अथवा पहले एक बारसे ही प्रारम्भ करे, धीर-धीरे तीन-तीन बारका अभ्यास बढावे) पाठ करे।
ॐ भू: ॐ भुव: ॐ स्व: ॐ मह: ॐ जन: ॐ तप: ॐ सत्यम्।
ॐ तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमही। धियो यो न: प्रचोदयात्। ॐ आपो ज्योती रसोऽमृ्तं ब्रम्ह भूर्भुव: स्वरोम्।
प्राणायामकी विधी-
प्राणायामके तीन भेद होते है-
१.पुरक २.कुम्भक और ३.रेचक।
१. अँगूठेसे नाकके दाहिने छिद्रको दबाकर बाये छिद्र्से श्वासको धीरे-धीरे खीचनेको ’पुरक प्राणायाम’ कह्ते है। पूरक प्राणायाम करते समय उपर्युक्त मन्त्रोका मनसे उच्चारण करते हुए नाभिदेशमें नीलकमलके दलके समान नीलवर्ण चतुर्भुज भगवान विष्णुका ध्यान करे.
२. जब साँस खीचना रुक जाय, तब अनामिका और कनिष्ठिका अँगुलीसे नाकके बाये छिद्रको भी दबा दे। मन्त्र जपता रहे। यह ’कुम्भक प्राणायाम’ हुआ। इस अवसरपर ह्र्दयमें कमलपर विराजमान लाल वर्णवाले चतुर्मुख ब्रह्माका ध्यान करे।
१. ॐ आपो हि ष्ठा मयोभुव:। २. ॐ ता न ऊर्जे दधातन। ३. ॐ महे रणाय चक्षसे। ४. ॐ यो व: शिवतमो रस:। ५. ॐ तस्य भाजयतेह न:। ६. ॐ उशतीरिव मातर: । ७. ॐ तस्मा अरं गमाम व:। ८. ॐ यस्य क्षयाय जिन्वथ। ९. ॐ आपो जनयथा च न:।
मस्तकपर जल छिडकनेके विनियोग और मन्त्र-
निम्नलिखित विनियोग पढकर बाये हाथमें जल लेकर दाहिने हाथसे ढक ले और निम्नलिखित मन्त्र पढकर सिरपर छिडके।
विनियोग:-
द्रुपदादिवेत्यस्य कोकिलो राजपुत्र ऋषिरनुष्टुप् छन्द: आपो देवता: शिरस्सेके विनियोग:।
मन्त्र-
ॐ द्रुपदादिव मुमुचान: स्विन्न: स्नातो मलादिव।
पूतं पवित्रेणेवाज्यमाप: शुन्धस्तु मैनस:॥
अघमर्षण और आचमनके विनियोग और मन्त्र-
नीचे लिखा विनियोग पढकर दाहिने हाथमें जल लेकर उसे नाकसे लगाकर मन्त्र पढे और ध्यान करे कि ’समस्त पाप दाहिने नाकसे निकलकर हाथके जलमें आ गये है। फ़िर उस जलको बिना देखे बायी ओर फ़ेक दे।
१. ॐ आपो हि ष्ठा मयोभुव:। २. ॐ ता न ऊर्जे दधातन। ३. ॐ महेरणाय चक्षसे। ४. ॐ यो व: शिवतमो रस:। ५. ॐ तस्य भाजयतेह न:। ६. ॐ उशतीरिव मातर:। ७. ॐ तस्मा अरं गमाम ब:। ८. ॐ यस्य क्षयाय जिन्वथ। ९. ॐ आपो जनयथा च न:।
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Last Updated : November 26, 2018
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