संध्या न करनेसे दोष
प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे.
संध्या न करनेसे दोष
जिसके संध्याका ज्ञान नही किया, जिसने संध्याकी उपासना नही की, वह ( द्विज ) जीवित रहते शुद्र-सम रहता है और मृत्यृके बाद कुत्ते आदिकी योनिको प्राप्त करता है-
संध्या येन न विज्ञाता संध्या येनानुपासिता।
जीवमानो भवेच्छूद्रो मृत: श्वा चाभिजायते॥
ब्राम्हण, क्षत्रिय, वैश्य आदि संध्या नही करे, तो वे अपवित्र है और उन्हे किसी पुण्यकर्म करनेका फ़ल प्राप्त नही होता।
संध्याहीनोऽशुचिर्नित्यमनर्ह: सर्वकर्मसु।
यदन्यत् कुरुते कर्म न तस्य फ़लभाग्भवेत॥
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Last Updated : November 26, 2018
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