संध्योपासन-विधि
प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे.
संध्योपासन-विधि
संध्योपासन व्दिजमात्रके लिये बहुत ही आवश्यक कर्म है। इसके बिना पूजा आदि कार्य करनेकी योग्यता नही आती । अंत: व्दिजमात्रके लिये संध्या करना आवश्यक है ।
स्नानके बाद दो वस्त्र धारणकर पूर्व, ईशानकोण या उत्तरकी ओर मुँह कर आसनपर बैठ जाय। आसनकी ग्रन्थि उत्तर-दक्षिणकी ओर हो। तुलसी, रुद्राक्ष आदिकी माला धारण कर ले। दोनों अनामिकाओंमें पवित्री धारण कर ले। गायत्री मन्त्र पढकर शिखा बाँधे तथा तिलक लगा ले और आचमन करे-’
आचमन-
’ॐ केशवाय नम: , ॐ नारायणाय नम: , ॐ माधवाय नम: ’-इन तीन मन्त्रोंसे तीन बार आचमन करके ’ॐ ह्र्षीकेशाय नम: ’ इस मन्त्रको बोलकर हाथ धो ले।
पहले विनियोग पढ ले, तब मार्जन करे (जल छिडके) ।
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Last Updated : November 26, 2018
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