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सप्तधृतमातृका पूजनं

पूजा विधी - सप्तधृतमातृका पूजनं

जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।


घृतधारा देने का मन्त्र

ॐ वसो : पवित्र शतधारं वसो : पवित्रमसि सहस्त्र धारण् । देवस्त्वा सविता पुनातु वसो : पवित्रेण शतधारेण सुप्वा : काम धुक्ष्व : ॥

तत्पश्चात् सातों बिन्दुओं को गुढ घी से एकीकृत करें कुकुंमादि से अलंकार करें । साथ ही हाथ में अक्षत लेकर एक - एक देवी की प्रतिष्ठा करें ।

श्री

ॐ मनस : काममाकूति वाच : सत्यमसीमहि पशूना र्ठ रूपमन्नस्य रसोयश : श्री श्रंयतां मयि स्वाहा ॥१॥

ॐ भू र्भुव : स्व : श्रियै नमः श्रियम् आवाह्यामि स्थापयामि ।

लक्ष्मी

ॐ श्रीश्चते लक्ष्मीश्चपत्न्यावहोरात्रे पार्श्वे नक्षत्राणि रूपमश्विनौ व्यात्तम । इष्णन्निषाणा मुम्मऽइषाण सर्वलोकम्मऽइषाण ।

ॐ भू र्भुव : स्व : लक्ष्म्यै नमः । लक्ष्मीम् आवाह्यामि स्थापयामि ।

धृति

ॐ भद्रंकर्णेभि : श्रृणुयाम देवा भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्रा : । स्थिरै रंगैस्तुष्टुवा र्ठ सस्तनूभिर्व्यशेमहि देवहितं यदायु : ॥

ॐ भू र्भुव : स्व : धृत्यै नमः । घृतिमावाह्यामि स्थापयामि ।

मेधा

ॐ मेधाम्मे वरुणो ददातु मेधामग्नि : प्रजापति । मेधा मिन्द्रश्च वायुश्च मेधान्धाता ददातु में स्वाहा ॥

ॐ भू र्भुव : स्व : मेधायै नमः । मेधाम् आवाहयामि स्थापयामि ।

स्वाहा

ॐ प्राणाय स्वाहा : ऽपानाय स्वाहा व्यानाय स्वाहा : । चक्षुसे स्वाहा : श्रोत्राय स्वाहा : वाचे स्वाहा मनसे स्वाहा : ॥

ॐ भू र्भुव : स्व : स्वाहायै नमः । स्वाहामावाह्यामि स्थापयामि ।

प्रज्ञा

ॐ आयंगौ पृश्निर क्रमीद् सदन्मातरम्पुर : ॥ पितरंचप्रयन्त्स्वः ॥ ॐ भू र्भुव : स्व : प्रज्ञायै नमः आवाहयामि स्थापयामि ।

सरस्वती

ॐ पावकान : सरस्वतीवाजेभि र्वाजनीवति । यज्ञवष्टु - धियावसु ॥ ॐ भू र्भुव : स्व : सरस्वत्यै नमः सरस्वती मावाह्यामि स्थापयामि ।

प्रतिष्ठा

ॐ मनोजूति र्जुषतामाज्यस्ये तीमन सावाऽइद र्ठ सर्वमाप्त तन्मनसै वैतत्सर्वमाप्नोति बृहस्पति र्यज्ञमिमन्तमो त्वरिष्टं यज्ञ र्ठ समीमं दधातृवीतीय द्विदृंढ ऽतत्संदधाती विश्वेदेवा स ऽइहमादयंता मिति सर्वं वैविश्वे देवा : सर्वेणैवै तत्संदधाति सयदि कामेयत्ब्रुयात्ब्रुयु : प्रतिष्ठेति । एषवै प्रतिष्ठा नाम यज्ञो यत्रैतेन यज्ञेनयजन्ते सर्वमेव प्रतिष्ठितं भवति ।

गणेश गौत्र

ॐ भू र्भुव : स्व : गणेश गौत्र देवेभ्यो आवाहयामि स्थापयामि ।

भैरव प्रतिष्ठानाम् :-

वसोद्वारा के दाहिनी ओर , बं बटुकाय नमः , काल भैरवाय नम :, गौर भैरवाय नमः से आवाहन प्रतिष्ठापन करें । तत्पश्चात् सर्वेभ्यो देवेभ्यों गंद्यादिभि : पूजयेत् ।

षडविनायक व द्वादश विनायक पूजा गणेश पूजन के साथ करावें ।

॥ षडविनायककादि पूजा ॥

गेहूँ से चूर्ण हल्दी से रंगे हुए कलश पर छ : बिन्धियां देकर अथवा षट्‌कोण मांडकर षडविनायक पूजा करें ।

ॐ मोदाय नमः मोदमावाहयामि ।

ॐ प्रमोदाय नमः प्रमोदमावाहयामि ।

ॐ सुमुखाय नमः सुमुखमावाहयामि ।

ॐ दुर्मुखाय नमः दुर्मुखमावाहयामि ।

ॐ अविघ्नाय नमः अविघ्नमावाहयामि ।

ॐ विघ्न हर्त्रे नमः विघ्न हर्तारमावाहयामि ।

ॐ षडविनायकेभ्यो नमः आवाहयामि स्थापयामि पूजयामि ।

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Last Updated : May 24, 2018

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