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शिखा बन्धनम्, भूत शुद्धि

पूजा विधी - शिखा बन्धनम्, भूत शुद्धि

जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।


शिखा बन्धनम्

ॐ ब्रह्म वाक्य सहस्त्रेण शिव वाक्य शतेन च । विष्णोर्नाम सहस्त्रेण शिखा ग्रंथि करोम्यहम् ॥

( ततो वाम पादेन भूमि त्रिवारं ताडयेत )

दुष्टानां तु दमनं कृत्वा हतपापमाच्युत् । निर्गच्छन्तु विघ्नानां आगच्छन्तु अत्र देवता ॥

तात्रिकें :-

अपने चारों ओर चुटकी बजाते हुए रक्षा करें ।

ॐ रं अग्निप्राकाराय नमः , ॐ सहस्त्रार हुँ फट् , सुदर्शन प्राकाराय नमः , ॐ श्लीं पशुं हुँ फट् , पाशुपत प्रकाराय नम : ॥

दोनों हाथ जोडकरः -

वामें गुं गुरुभ्यो नमः , दक्षिणे भद्रकाल्यैनम : उपरे गं गणपतये नमः हृदये श्री महादुर्गायै नमः ।

बायें हाथ में फूल लेकर उन्हें मींजकर सूघें और -

ॐ तेसर्वे विलयं यान्तु ये मा हिंसन्ति हिंसकाः । मृत्यु रोग भय क्लेशा : पतन्तु रिपु मस्तके ॥

( यह मंत्र पढकर इसे ईशान कोण में फेंक दें )

९६ बार ॐ या व्याहृति से पूरक ६४ बार जप से कुंभक तता ३२ बार जप से रेचक करें । अथवा मूल मंत्र का जाप १ - ४ , २ के अनुपात में करें ।

॥ भूत शुद्धि ॥

अपनी बाईं कोख में पाप पुरुष का ध्यान करें ।

वाम कुक्षि स्थितं कृष्णामंगुष्ठ परिमाणकं । विप्रहत्या शिरोयुक्तं कनक स्तेय - बाहुकम् ॥१॥

मदिना पान हृदयं गुरु तल्प कटीयुतम् । तत्संयोगि पद द्वन्द्वमुप पातक रोमकम् । खड्‌ग चर्म धरं दुष्टमधोवक्रम च दुःसहम् ॥२॥

इसके बाद " यं " बीज मंत्र १६ बार जपता हुआ बायीं नासिका से वायु के साथ भगवती के तेज का स्मरण कर पूरक करें ।

फिर कुंभक करें " रं " का ६४ बार जाप करें और समझें इससे पाप पुरुष भस्म हो गया है " यं " मंत्र ३२ बार जपता हुआ रोचक करें । यह समझें कि पाप पुरुष की भस्मी बाहर चली गई है ।

अथवा ॐ हौं इस मंत्र का १०८ बार जाप करें ।

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Last Updated : May 24, 2018

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