शरभ II. n. चेदिराज धृष्टकेतु का भाई, जो शिशुपाल के पुत्रों में से एक था । भारतीय युद्ध में यह पांडवों के पक्ष में शामिल था
[म. उ. ४९.४३] । युधिष्ठिर के अश्वमेध यज्ञ के समय, शुक्तिसा नगरी में राज्य करनेवाले शरभ ने सर्वप्रथम अर्जुन से युद्ध करना चाहा। किंतु पश्चात् इसने अर्जुन को करभार अर्पण कर, अश्वमेधीय अश्व की विधिपूर्वक पूजा की
[म. आश्र्व. ८४.३] ।
शरभ III. n. गांधारराज सुबल का पुत्र, जो शकुनि के ग्यारह भाइयों में से एक था । भीमसेन के द्वारा किये गये रात्रियुद्ध में उसने इसका वध किया
[म. द्रो. १३२.२१] ।
शरभ IV. n. एक दानव, जो कश्यप एवं दनु के प्रमुख चौंतीस पुत्रों में से एक था
[म. आ. ५९.२६] ।
शरभ IX. n. एक रामपक्षीय वानर, जो साल्वेय पर्वत का निवासी था
[वा. रा. यु. २६.३०] ।
शरभ V. n. तक्षककुल में उत्पन्न एक नाग, जो जनमेजय के सर्पसत्र में दग्ध हुआ था
[म. आ. ५२.९ पाठ.] ।
शरभ VI. n. ऐरावतकुल में उत्पन्न एक नाग, जो जनमेजय केसर्पसत्र में दग्ध हुआ था
[म. आ. ५२.१०] ।
शरभ VII. n. यमसभा का एक ऋषि
[म. स. ८.१४] ।
शरभ VIII. n. यम के पॉंच पुत्रों में से एक ।
शरभ X. n. ०. एक विंध्यपर्वतवासी वानरजाति, जो हरि एवं पुलह की संतान थी
[ब्रह्मांड. ३.७.१७४] ।
शरभ XI. n. १. एक वानर, जो जांबवत् वानर का पुत्र था । आगे चल कर इसीसे ही ‘शरभ’ नामक वानरजाति का निर्माण हुआ
[ब्रह्मांड. ३.७.३०४] ।
शरभ XII. n. २. कृष्ण एवं रुक्मिणी के पुत्रों में से एक
[वायु. ९६.२३७] ।
शरभ XIII. n. ३. शिव की क्रोधमूर्ति वीरभद्र का एक अवतार, जो उसने नृसिंह को पराजित करने के लिए धारण किया था । इसने नृसिंह को परास्त कर, उसका चमड़ा एक वसन के नाते अपने शरीर पर ओढ लिया, जिस कारण शिव को ‘नृसिंहकृत्तिवसन’ उपाधि प्राप्त हुई
[शिव. शत. १२] ।
शरभ XIV. n. ४. एक ऋषि, जिसे ‘निगमोद्बोधक तीर्थ’ में स्नान करने के कारण, शिवकर्मन् नामक पुत्र उत्पन्न हुआ था
[पद्म. उ. २०१, २०४-२०५] । इसीके कारण विकट नामक राक्षस का उद्धार हुआ था (विकट ४. देखिये) ।