विमद (ऐंद्र प्राजापत्य) n. एक वैदिक सूक्तद्रष्टा
[ऋ. १०.२०-२६] । ऋग्वेद के इन सूक्तों में इसका स्पष्ट नामोल्लेख, तथा इसके ‘विमल’ नामक परिवार का निर्देश प्राप्त है
[ऋ. १०.२०.१०,२३.७] । यह इंद्र एवं आश्र्वियों के कृपापात्र व्यक्तियों में से एक था
[ऋ. १.११२.१९, ११६.१, ११७.२०,१०.३९.७,६५.१२] । यह इंद्र एवं ‘प्रजापति’ का मानसपुत्र था, जिस कारण इसे ‘ऐंद्र’ एवं ‘प्राजापत्य’ पैतृक नाम प्राप्त हुए थे । पुरुमित्र की कन्या कमद्यु इसकी पत्नी थी, जिसने इसका स्वयंवर में वरण किया था । इस कारण स्वयंवर के लिए उपस्थित हुए अन्य राजाओं नें इससे युद्ध शुरू किया। उस समय अश्र्वियों ने इसे अपने शत्रुओं को परास्त करने में सहाय्य किया, एवं कमद्यु को रथ में बैठा कर इसके पास पहुँचा दिया
[अ. वे. ४.२९.४] ;
[ऐ. ब्रा. ५.५.१] । कई अभ्यासकों के अनुसार, ऋग्वेद का सूक्तद्रष्टा विमद, एवं आश्र्वियों का कृपापात्र विमददो अलग व्यक्ति थे । लुदविग के अनुसार, वत्स काण्व एवं आश्र्वियों का कृपापात्र विमद दोनों एक ही थे
[लुडविग, ऋग्वेद अनुवाद ३.१०५] । ऋग्वेद की एक ऋचा में विमद एवं वत्स का एकत्र निर्देश प्राप्त है
[ऋ. ८.९.१५] ।