वत्स n. ( सो. पूरु. ) एक राजा, जो सेनाजित राजा का पुत्र था ।
वत्स (आग्नेय) n. एक वैदिक सूक्तद्रष्टा
[ऋ. १०.१८७] । यह एवं अन्य एक सूक्तद्रष्टा कुमार आग्नेय, एक ही वंश में उत्पन्न हुए होंगे ।
वत्स (काण्व) n. एक वैदिक सूक्तद्रष्टा, एवं ‘ चरकाध्वर्यु सूत्र का रचयिता
[ऋ. ८.६.११] । कण्व ऋषि का पुत्र होने से, इसे ‘ काण्व ’ पैतृक नाम प्राप्त हुआ था
[ऋ. ८.८.८] । तिरिंदर पारशव्य राजा से इसे विपुल धन प्राप्त हुआ था
[ऋ. ८.६.४६] ;
[सां. श्रौ. १६.११.२०] । मेधातिथि नामक इसके प्रतिद्वंद्वी ने इसे शूद्रपुत्र कहा, किंतु अग्निदिव्य कर इसने अपनी जातिविषयक शुद्धता प्रस्थापित की
[पं. ब्रा. ८.६.१] । हेमाद्रि के ‘ परिशेष खंड ’ में इसका निर्देश प्राप्त है ।
वत्स II. n. ( स्वा. उत्तान. ) एक राजा, जो भागवत के अनुसार चक्षु राजा का पुत्र था । इसकी माता का नाम नडवला था ।
वत्स III. n. ( सो. क्षत्र. ) काशी देश का एक राजा, जो वायु के अनुसार प्रतर्दन राजा का पुत्र था । परशुराम के भय से, यह गोशाला में गायों के बछडो ( वत्सों ) के बीच पालपोस कर बडा हुआ, जिस कारण इसे ‘ वत्स ’ नाम प्राप्त हुआ
[म. शां. ४९.७१] ।
वत्स IV. n. ( सू. इ. भविष्य. ) एक राजा, जो विष्णु के अनुसार गुरुक्षेप राजा का पुत्र था । इसे ‘ वत्सद्रोह ’ , ‘ वत्सवृद्ध ’ , एवं ‘ वत्सव्यूह ’ आदि नामांतर प्राप्त थे ।
वत्स IX. n. एक आचार्य, जो ब्रह्मांड के अनुसार, व्यास की यजुः शिष्यपरंपरा में सें याज्ञवल्क्य का वाजसनेय शिष्य था ( व्यास देखिये ) ।
वत्स V. n. कोसल देश का एक राजा, जो द्रौपदीस्वयंवर में उपस्थित था
[म. आ. १७७.२०] ।
वत्स VI. n. सों नामक शिवावतार का एक शिष्य ।
वत्स VII. n. कंस के पक्ष का एक दैत्य, जो ‘ गोवत्स ’ का रुप धारण कर कृष्ण का नाश करने गोकुल में उपस्थित हुआ था । इसे ‘ वत्सक ’ नामांतर भी प्राप्त था
[भा. १०.४३.३०] । कपित्थ के वृक्ष पर पटक कर, कृष्ण ने इसका वध किया
[भा. १०.११.४२] ।
वत्स VIII. n. एक वैश्य, जो मंत्रविद्या में प्रवीण था
[ब्रह्मांड, २.३२.१२१] ।
वत्स X. n. ०. एक आचार्य, जो व्यास की ऋक् शिष्यपरंपरा में से देवमित्र नामक आचार्य का शिष्य था । पाठभेद ‘ वास्य ’ ।
वत्स XI. n. १. पूर्व भारत में रहनेवाला एक लोकसमूह, जो भारतीय युद्ध में पांडवों के पक्ष में शामिल था
[म. उ. ५.२] । इस देश के योद्धा धृष्टद्युम्र के द्वारा निर्मित क्रौंचव्यूह के वाम पक्ष में खडे थे
[म. भी. ४६.५१] । काशिराज की कन्या अंबा इन्ही लोगों के देश में तपश्चर्या करने आयी थी
[म. उ. १८७.२३] ।