नंदिनी n. कश्यप के द्वारा सुरभि के गर्भ से उत्पन्न एक गौ
[म.आ.९३.८] । समस्त जगत् पर अनुग्रह करने के लिये गया गौ का अवतार हुआ था, एवं पूजको की कामनाएँ पूरी करने के कारण इसे ‘कामधेनु’ कहते थे । जो मनुष्य इसक दूध पीता था, वह दस हजार वर्षो तक युवावस्था में जीवित रहता था
[म.आ.९३.१९] । यह वरुणपुत्र वसिष्ठ की ‘कामधेनु’ थी
[म.आ.९३.९] । उसके तापसवन में यह चरती रहती थी । एकबार, द्यु नामक वसु ने इसका अपहरण किया । इस कारण वसिष्ठ ने वसुओं को शाप किया (म.आ.९३.४४.द्यु देखिये) । इसके प्राप्ति के लिये, विश्वामित्र ने वसिष्ठ से याचना की थी । वसिष्ठ ने उसका इन्कार करने पर, विश्वामित्र ने इसका हरण किया
[म.आ.१६५.२१] । पश्चात् अपने विभिन्न अंगों से हूण, यवन, किरात आदि की सृष्टि निर्माण कर, नंदिनी ने विश्वामित्र के सेना को पराजित किया एवं उस सेना को नष्ट कर दिया
[म.श.३९.२०-२१] ।