देवरात n. (सो. क्रोष्टु.) एक यादव राजा । भागवत, विष्णु, मत्स्य तथा पद्म के मत में यह करंभ का पुत्र था । वायुमत में करंभक का पुत्र । भविष्यमत में इसे देवरथ कहा गया है
[पद्म. सृ.१३] ।
देवरात (जनक) n. (सू. निमि.) विदेह देश के सुविख्यात ‘जनक’ राजाओं में से एक
[म.शां.२९८] । भागवत एवं वायु में इसे सुकेतु का, तथा विष्णु में स्वकेतु का पुत्र बताया हैं । इसके घर में रुद्र ने एक शिवधनुष्य रखा था । ‘सीता स्वयंवर’ के समय, उस धनुष का राम ने भंग किया
[वा.रा.अयो.६६] । राम का ससुर एवं सीता की पिता ‘सीरध्वज जनक’ से यह बहुत ही पूर्वकालीन था । यह याज्ञवल्क्य का समकालीन था । वायु में इसे ‘देवराज’ कहा गया है । धनुष का इतिहास बताते समय इसे निमि का पुत्र कहा गया है
[वा.रा.बा.६६.८] । किंतु ‘रामायण’ में दिया गया इसका वंशक्रम, पुराणों में दिये गये क्रम से अधिक विश्वासार्ह प्रतीत होता है । इसका पुत्र बृहद्रथ (दैवराति देखिये) ।
देवरात (वैश्वामित्र) n. शुनःशेप का नामांतर । शुनःशेप को विश्वामित्र ने पुत्र मान कर स्वीकार किया । उस समय शुनःशेप को यह नाम दिया गया
[ऐ.ब्रा.७.१७] ;
[सां. श्रौ.१५.२७] । पश्चात् एक गोत्र एवं प्रवर को भी यह नाम दिया गया । यह एक मंत्रकार भी था (अर्जागर्त एवं जह्रु देखिये) ।
देवरात II. n. एक ऋषि । भागवत के अनुसार इसका पुत्र याज्ञवल्क्य । वायु तथा ब्रह्मांड में ब्रह्मवाह पाठभेद है ।
देवरात III. n. एक गृहस्थ । इसे कला नामक कन्या थी । उसके पति का नाम शोण था । मारीच द्वारा कला का वध होने के बाद, देवरत तथा शोण उसको ढूँढने, विश्वामित्र के यहॉं गये । वहॉं से वसिष्ठ को साथ ले कर वे शिवलोक में गये । मरते, समय, ‘हर’ का नाम मुख से निकलने के करण, इसकी कन्या कैलास में पार्वती की दासी बनी थी । पार्वती ने इसे एवं शोण को सोमव्रत समारोह के लिये ठैर ने के लिये कहा । वह समारोह समाप्त होने पर ये दोनों वापस आये
[पद्म.पा११२] ।
देवरात IV. n. युधिष्ठिर की सभा का एक क्षत्रिय
[म.स.४. २२] ।