देवराज n. (सू.इ.) विकुक्षि का नामांतर
[मत्स्य.१२.२६] ।
देवराज (वसिष्ठ) n. एक ऋषि । यह अयोध्या का राजा त्रय्यारुण का पुरोहित था । इसीके कारण त्रय्यारुण ने सत्यव्रत त्रिशंकु को, अयोध्या देशके बाहर निकाल दिया तथा अपना राज्य इस पर (अपने पुत्र ) सौंप दिया (त्रिंशंकु देखिये) । इसीके द्वारा विश्वामित्र ने आप को ब्राह्मण कहलवाया
[JRAS 1917] ;फ्रू.४०.६७ ।
देवराज II. n. (सृ. निमि.) देवरात का पाठभेद ।
देवराज III. n. एक ब्राह्मण । यह किरात नगर में व्यापार करता था । यह अत्यंत धूर्त एवं शराबी था । एक बार तालाब में यह स्नान करने गया । वहॉं शोभावती नामक वेश्या से इसका संबंध जडा । उसके कारण मॉं, बाप तथा पत्नी का भी इसने वध किया । एक बार यह प्रतिष्ठान नगर में गया । वहॉं इसने शिव का दर्शन लिया तथा शिवकथा सुनी । पश्चात् एक माह के बाद इसकी मृत्यु हुई । केवल अल्पकाल किये गये शिवपूजन के कारण, इसे कैलास में जाने का भाग प्राप्त हुआ (शिवपुराण माहात्म्य) ।
देवराज IV. n. काशी का राजा । इसकी कन्या सुदेवा । वह इक्ष्वाकु की पत्नी थी
[पद्म. भू.४२.६] ।