Dictionaries | References ह हरिश्र्चंद्र Script: Devanagari Meaning Related Words Rate this meaning Thank you! 👍 हरिश्र्चंद्र प्राचीन चरित्रकोश | Hindi Hindi | | हरिश्र्चंद्र (वैधस त्रैशंकव) n. एक सुविख्यात इक्ष्वाकुवंशीय राजा, जो त्रिशंकु राजा का पुत्र था । इसकी माता का नाम सत्यवती था [म. स. ११.१३९*] । देवराज वसिष्ठ इसका गुरु था । शैब्या तारामती इसकी पत्नी थी [दे. भा. ७.१८] ; रोहित १. देखिये ।हरिश्र्चंद्र (वैधस त्रैशंकव) n. इस साहित्य में इसे ‘वैधस’ [वेधस् राजा का वंशज], एवं ‘ऐक्ष्वाक’ [इक्ष्वाकु राजा का वंशज] कहा गया है । ऐतरेय ब्राह्मण में इसकी कुल सौ पत्नियाँ होने का निर्देश प्राप्त है, एवं वरुण देवता को अपना रोहित नामक पुत्र बलि के रूप में प्रदान करने के इसके आश्वासन का अस्पष्ट निर्देश वहाँ प्राप्त है [ऐ. ब्रा. ७.१४.२] ;[सां. श्रौ. १५.१७] ।हरिश्र्चंद्र (वैधस त्रैशंकव) n. इस ग्रंथ में इसे समस्त भूपालों का सम्राट् कहा गया है, एवं अपने जैत्र नामक रथ में बैठ अपने शस्त्रों के प्रताप से सातों द्वीपों पर विजय प्राप्त करने का निर्देश वहाँ प्राप्त है । इसके द्वारा किये गये राजसूय यज्ञ के कारण इसे इंद्रसभा में स्थान प्राप्त हुआ था, एवं इसके ही उदाहरण से प्रभावित हो कर पाण्डु राजा ने अपने पुत्र युधिष्ठिर से राजसूय यज्ञ करने का संदेश स्वर्ग से भेजा था [म. स. ११.५२-७०] ।हरिश्र्चंद्र (वैधस त्रैशंकव) n. अपने पिता त्रिशंकु के समान इसका पुरोहित सर्वप्रथम विश्वामित्र ही था । किन्तु आगे चल कर इक्ष्वाकुवंश के भूतपूर्व पुरोहित वसिष्ठ देवराज की प्रेरणा से अपने राजसूय यज्ञ के समय इसने विश्वामित्र ऋषि का अपमान किया । पश्चात् इस अपमान के कारण विश्वामित्र ने इसका पौरोहित्य छोड़ दिया, एवं देवराज वसिष्ठ पुनः एक बार इसका पुरोहित बन गया (विश्वामित्र देखिये) ।हरिश्र्चंद्र (वैधस त्रैशंकव) n. इस साहित्य में विश्वामित्र ऋषि के द्वारा इसे अनेकानेक प्रकार से त्रस्त करने की कल्पनारम्य कथाएँ प्राप्त है [मार्क. ८-९] । ब्रह्म के अनुसार, विश्वामित्र के दक्षिणा की पूर्ति के लिए इसे स्वयं को, अपनी पत्नी तारामती को, एवं पुत्र रोहित को बेचना पड़ा । इनमें से तारामती एवं रोहित को इसने वृद्ध ब्राह्मण को, एवं स्वयं को एक स्मशानधिकारी चांडाल को बेच दिया । आगे चल कर, विश्वामित्र ने अपनी माया से रोहित का सर्पदंश के द्वारा वध कराया । अपने पुत्र की मृत्यु से शोकविह्वल हो कर यह एवं तारामती अग्निप्रवेश के लिए उद्यत हुए । किन्तु वसिष्ठ एव देवों ने इस आपत्प्रसंग से इसे बचाया, एवं इसका विगत वैभव एवं राज्य पुनः प्राप्त कराया [ब्रह्म. १०४] ;[मार्क. ७-८] । पुराणों में निर्दिष्ट ये सभी कथाएँ, वसिष्ठ एवं विश्वामित्र का पुरातन विरोध कल्पनारम्य पद्धति से चित्रित करने के लिए दी गयी प्रतीत होती है ।हरिश्र्चंद्र (वैधस त्रैशंकव) n. यह दीर्घकाल तक निःसंतान था । आगे चल कर वरुण की कृपाप्रसाद से इसे रोहित नामक पुत्र उत्पन्न हुआ, जिसके बड़ा होते ही पुत्रबलि के रूप में प्रदान करने का आश्वासन इसने दिया था । किन्तु आगे चल कर रोहित ने अपनी बलि देने से इन्कार कर दिया, एवं वह अरण्य में भाग गया । वरुण को दिया गया आश्वासन पूर्ण न होने के कारण यह ‘वरुण रोग’ (जलोदर) से पीड़ित हुआ । यह ज्ञात होते ही रोहित अरण्य से लौट आया, एवं अपने स्थान पर शुनःशेप नामक ब्राह्मणकुमार उसने यज्ञबलि के लिए तैयार किया । किन्तु विश्वामित्र ने शुनःशेप की रक्षा की (रोहित एवं शुनःशेप देखिये) । Related Words हरिश्र्चंद्र स्वप्नींच्या राज्यदानाला, राजा हरिश्र्चंद्र सिद्ध झाला करकरून बांधणें वैधस सम्राज् वसिष्ठ विश्वामित्र सत्यवती હિલાલ્ શુક્લ પક્ષની શરુના ત્રણ-ચાર દિવસનો મુખ્યત ନବୀକରଣଯୋଗ୍ୟ ନୂଆ ବା વાહિની લોકોનો એ સમૂહ જેની પાસે પ્રભાવી કાર્યો કરવાની શક્તિ કે સર્જરી એ શાસ્ત્ર જેમાં શરીરના ન્યાસલેખ તે પાત્ર કે કાગળ જેમાં કોઇ વસ્તુને બખૂબી સારી રીતે:"તેણે પોતાની જવાબદારી ਆੜਤੀ ਅਪੂਰਨ ਨੂੰ ਪੂਰਨ ਕਰਨ ਵਾਲਾ బొప్పాయిచెట్టు. అది ఒక लोरसोर जायै जाय फेंजानाय नङा एबा जाय गंग्लायथाव नङा:"सिकन्दरनि खाथियाव पोरसा गोरा जायो आनाव सोरनिबा बिजिरनायाव बिनि बिमानि फिसाजो एबा मादै भाजप भाजपाची मजुरी:"पसरकार रोटयांची भाजणी म्हूण धा रुपया मागता नागरिकता कुनै स्थान ३।। कोटी ঁ ۔۔۔۔۔۔۔۔ ۔گوڑ سنکرمن ॐ 0 ० 00 ૦૦ ୦୦ 000 ০০০ ૦૦૦ ୦୦୦ 00000 ০০০০০ 0000000 00000000000 00000000000000000 000 பில்லியன் 000 மனித ஆண்டுகள் 1 १ ১ ੧ ૧ ୧ 1/16 ರೂಪಾಯಿ 1/20 1/3 ૧।। 10 १० ১০ ੧੦ ૧૦ ୧୦ ൧൦ 100 ۱٠٠ १०० ১০০ ੧੦੦ ૧૦૦ ୧୦୦ 1000 १००० ১০০০ ੧੦੦੦ ૧૦૦૦ ୧୦୦୦ 10000 १०००० ১০০০০ ੧੦੦੦੦ ૧૦૦૦૦ ୧୦୦୦୦ 100000 ۱٠٠٠٠٠ १००००० ১০০০০০ ੧੦੦੦੦੦ ૧૦૦૦૦૦ 1000000 १०००००० ১০০০০০০ ੧੦੦੦੦੦੦ ૧૦૦૦૦૦૦ ୧୦୦୦୦୦୦ 10000000 १००००००० ১০০০০০০০ ੧੦੦੦੦੦੦੦ ૧૦૦૦૦000 ૧૦૦૦૦૦૦૦ ୧୦୦୦୦୦୦୦ 100000000 १०००००००० ১০০০০০০০০ ੧੦੦੦੦੦੦੦੦ Folder Page Word/Phrase Person Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP