Dictionaries | References

दुष्यंत

   
Script: Devanagari

दुष्यंत

हिन्दी (hindi) WN | Hindi  Hindi |   | 
 noun  एक पुरुवंशी राजा   Ex. दुष्यंत ने कण्व ऋषि के आश्रम में शकुंतला के साथ गंधर्व विवाह किया था
ONTOLOGY:
व्यक्ति (Person)स्तनपायी (Mammal)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)

दुष्यंत

दुष्यंत n.  (सो. पूरु.) का सुविख्यात राजा एवं ‘चक्रवर्ति’ सम्राट्‍ भरत का पितावैशाली देश का तुर्वसु राजा एवं करंधम का ससुर ‘चक्रवर्ति’ मरुत्त आविक्षित ने ‘पौरववंश में जन्मे हुए दुष्यंत को गोद में लिया । कुरुवंशीयों का राज्य मांधातृ के समय से हैहय राजाओं ने कबजे में लिया थावह इसने पुनः प्राप्त किया, एवं गंगा तथा सरस्वती नदीयों के बीच में स्थित प्रदेश में अपना राज्य पुनः स्थपित किया । इसलिये इसेवंशकरकहा जाता है [म.आ.६२.३] ;[भागवत. ९.२३.१७-१८] । दुष्मंत, दुःषन्त आदि इसीके ही नामांतर थे । इसके पुत्र भरत कोदौष्यन्ति’ ‘दौःषन्तिआदि नाम इसके इन नामों से प्राप्त हुए थे [ऐ. ब्रा.८.२३] ;[श. ब्रा.१३. ५.४.११-१४]शतपथ ब्राह्मण के उपरोक्त उद्धरण में, भरत का पैतृक नामसौद्युम्निदिया गया है । वह वस्तुतःदौष्यन्ति’ चाहिये । मत्स्य पुराण में दुष्यंत को ही भरत दौष्यंति कहा है [मत्स्य. ४९.१२] । इसके जन्मदातृ पिता एवं माता के नाम के बारे में एकवाक्यता नहीं है । भागवत में इसे रैभ्य राजा का पुत्र कहा गया है [भा.९,.२०.७] । भविष्यमत में, इसके पिता का नाम तंसु थाहरिवंश में, तंसु के दुष्यंत आदि चार पुत्र दिये गये है [ह.वं.१.३२.८]किंतु विष्णुपुराण में दुष्यंत को तंसुपुत्र अनिल का पुत्र कहा गया है [विष्णु. ४.१९]महाभारत ‘कुंभकोणभ्’ आवृत्ति में इसके पिता का नाम ईलिन दिया है [म.आ.८९.१४] ;[मत्स्य.४९.१०]ईलिन को दुष्यंत आदि पॉंच पुत्र थे, ऐसी भी उल्लेख मिलता है । ब्रह्मांड में इसे ईलिन का नाती कहा गया है । वायु पुराण में इसके पिता का नाम मलिन दिया है । इसके पिता नाम के संबंध में जैसी गडबडी दिखती है, उसी तरह इसकी माता के नाम के बारे में भी दिखाई पडती है । इसकी माता उपलब्ध नाम है उपदानवी [वायु.६९.२४] , रथंतरी [म.आ.९०.२९]पौरव वंश के इतिहास में, तंसु से दुष्यंत के बीच के राजाओं के बारे में, पुराणों मे एकवाक्यता नहीं है । लाक्षी नामान्तर से इसे लक्षणा नामक दूसरी भार्या तथा उसे जनमेजय नामक पुत्र था । यह जानकारी महाभारत की कुंभकोणम् आवृत्ति में प्राप्त है [म.आ.९०.९०१, ८९,८७७]इसकी राजधानी गजसाह्रय (हस्तिनापुर) थी [म.आ.६८.१२]तुर्वसु कुलोत्पन्न करंधम के पुत्र मरुत्त राजा ने अपना पुत्र मान कर, इसे अपना सारा राज्य दिया [भा.९.२३.१६-१७] ;[विष्णु.४.१६] । यह राज्य लोलुप था । इसलिये इसने राज्य स्वीकार किया । राज्य मिलने के बाद, यह पुनरपि पौरववंशी बन गया [भा.९.२३.१८]ययाति के शाप के कारण, मरुत्त राजा का यह वंश पुरुवंश में शामिल हो गया [मत्य.४८.१-४]ययाति के शाप से, इसका तुर्वसु वंश से संबंध आया [वायु.९९.१-४]ब्रह्मपुराण में तुर्वसुवंशीय करंधमपुत्र मरुत्त ने, अपनी संयता नामक कन्या संवर्त को देन के बाद, उन्हें दुष्यत पौरव नामक पुत्र हुआ, ऐसा उल्लेख है [ब्रह्म. १३]हरिवंश में यही हकीकत अलग ढंग से दी गयी है । यज्ञ के बाद, मरुत्त को सम्मता नामक कन्या हुई । वह कन्या यज्ञ दक्षिणा के रुप मे संवर्त नामक ऋत्विज को दीपश्चात् संवर्त ने वह कन्या सुघोर को दी । उससे सुधोर दुष्यंत नामक पुत्र हुआ । दुष्यंत अपनी कन्या का पुत्र होने के कारण, मरुत्त ने उसे अपनी गोद में ले लिया । इसी कारण तुर्वसु वंश पौरवों में शामिल हुआ [ह. वं. १.३२] । पौरवों का छीना गया राज्य दुष्यंत ने पुनः प्राप्त किया, तथा पुरु वंश की पुनः स्थापना की । यह स्थिति प्राप्त होने के पहले ही, इसका दत्तकधान हुआ होगा । इसका राज्य हैहयों ने नष्ट कर दिया था । इसीलिये इस राज्यच्युत राजपुत्र को गोद लिया गया होगापरंतु पौरवों की सत्ता को पुनर्जीवित करने के हेतु से यह अपने को पौरववंशीय कहने लगा पौरव सत्ता का पुनरुज्जीवन, दुष्यंत ने हैहय सत्ता सगर द्वारा नष्ट की जाने पर, तथा सगर के राज्य के नाश के बाद ही किया होगाअगर ऐसा होगा तो यह मरुत्त से एक दो पीढियॉं तथा सगर से दी पीढियॉं आगे होगाएक बार यह मृगया के हेतु से कण्व काश्यप ऋषि के आश्रम में गया । वहॉं इसने कण्व आश्रम में शकुन्तला को देखा । कण्व काश्यप बाहर गया हुआ था । इसलिये परस्पर संमति से दुष्यन्त एवं शकुंतला का गांधर्वविवाह हो गयाबाद में शकुन्तला को इससे गर्भ रह कर भरत नामक पुत्र हुआ । परंतु यह विवाह छुपके से किये जाने के कारण, शकुंतला को यह अस्वीकार करने लगाबाद में आकाशवाणी ने सत्य परिस्थिति बतायी । तब राजा को उसके स्वीकर में कुछ बाधा नहीं रही [म.आ.२.६३-६९,९०] ;[म.द्रो. परि.१.क्र.८, पंक्ति ७३० से आगे] ;[म.शां.२९] ; आश्व.३;[भा.९.२०.७-२२] ;[विष्णु.४.१९-२१] ;[ह.वं.१.३८] ;[वायु.९९.१३२]शकुंतला को दोषवती मानने से इसे दुष्यंत नाम प्राप्त हुआ, ऐसा इसके ‘दुष्यंत’ नाम का विश्लेषणशब्द कल्पदुम’ में दिया है (दुष दोषवती मन्यते शकुन्तलाम् इति ) । शकुन्तला से इसे भरत नामक पुत्र हुआ । उसे ब्राह्मण ग्रंथों में दौष्यंति नाम से, एवं अन्य ग्रंथों में सर्वदमन कहा गया है । दुष्यंत को पौरव कुल का आदि संस्थापक माना जाता है । राज्यशकट चलाने की इसकी पद्धति बहुत अच्छी थी [म.आ.६२]
दुष्यंत II. n.  (सो. अज.) अजमीढ का पुत्रइसकी माता नीली [म.आ.८९.२८] । परमेष्टिन् राजा इसका भाई थाउत्तर एवं दक्षिण पंचाल देशों का राजवंश इन दो भाइयों से शुरु हुआ ।

दुष्यंत

कोंकणी (Konkani) WN | Konkani  Konkani |   | 
 noun  एक पुरुवंशी राजा   Ex. दुष्यंतान कष्ण रुशीच्या आश्रमांत शकुंतला वांगडा गंधर्व विवाह जाल्लो
ONTOLOGY:
व्यक्ति (Person)स्तनपायी (Mammal)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)

दुष्यंत

मराठी (Marathi) WN | Marathi  Marathi |   | 
 noun  पुरुवंशातील एक राजा   Ex. दुष्यंताने कण्व ऋषीच्या आश्रमात शकुंतलेशी गंधर्व विवाह केला.
ONTOLOGY:
व्यक्ति (Person)स्तनपायी (Mammal)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP